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बस्तर में खेल क्रांति की तैयारी: पूर्व नक्सलियों समेत 40 हजार खिलाड़ी दिखाएंगे अपना दम

आगामी अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले बस्तर ओलंपिक में तीन स्तरों विकासखंड, जिला और संभाग स्तर पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी. इनमें बस्तर संभाग के सातों जिलों और 32 विकासखंडों के 40 हजार से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे. इस संबंध में बैठक करके राज्य के दोनों डिप्टी CM ने तैयारी की समीक्षा की

बस्तर में खेल क्रांति की तैयारी: पूर्व नक्सलियों समेत 40 हजार खिलाड़ी दिखाएंगे अपना दम

Bastar Olympics: बस्तर को अब केवल उसकी पहचान से नहीं, बल्कि खेलों से भी जाना जाएगा. 'करसाय ता बस्तर, बरसाय ता बस्तर' (खेलेगा बस्तर, जीतेगा बस्तर) के नारे के साथ, बस्तर ओलंपिक की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं. उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा ने एक बैठक में इसकी तैयारियों की समीक्षा की, जिसमें बताया गया कि इस साल भी यह बड़ा आयोजन पूरी भव्यता के साथ किया जाएगा.

खेल और विकास का संगम

उपमुख्यमंत्री और खेल मंत्री अरुण साव ने इस आयोजन को केवल खेल तक सीमित नहीं माना. उन्होंने कहा, "बस्तर ओलंपिक सिर्फ खेलों का आयोजन नहीं है, बल्कि विकास और खेल का संगम है." इसका मकसद बस्तर के युवाओं को सशक्त बनाना और उनमें नेतृत्व की भावना जगाना है. राज्य सरकार चाहती है कि खेल और उत्सव के जरिए बस्तर में भय का माहौल खत्म हो और सभी लोग विकास में भागीदार बनें. 

बस्तर के हर गांव तक पहुंचेगा ओलंपिक

आगामी अक्टूबर-नवंबर में होने वाले इन खेलों में बस्तर संभाग के सभी सात जिलों और 32 विकासखंडों से 40 हजार से भी ज्यादा खिलाड़ी भाग लेंगे.ये प्रतियोगिताएं तीन स्तरों—विकासखंड, जिला और संभाग—पर आयोजित होंगी. उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने अधिकारियों से कहा कि हर गांव से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को इसमें शामिल किया जाए ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ सके. उन्होंने अधिकारियों को जल्द ही बस्तर में बैठक करने के निर्देश दिए ताकि तैयारियों में तेजी लाई जा सके.

अलग-अलग खेलों के साथ खास मुकाबले

बस्तर ओलंपिक में कुल 11 खेलों को शामिल किया गया है.इनमें एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, वेटलिफ्टिंग, कराटे, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल और रस्साखींच शामिल हैं. इन खेलों में जूनियर और सीनियर वर्ग के साथ-साथ महिला और पुरुष दोनों श्रेणियों में प्रतियोगिताएं होंगी. सबसे खास बात ये है कि इस आयोजन में नक्सल हिंसा से प्रभावित दिव्यांगों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए भी अलग से प्रतियोगिताएं होंगी. यह कदम बताता है कि सरकार समाज के हर वर्ग को खेलों से जोड़ना चाहती है. पिछले साल के विजेता खिलाड़ियों, पंचायत सचिवों और महिला समूहों को भी इस आयोजन से जोड़ा जा रहा है ताकि इसकी पहुँच हर व्यक्ति तक हो सके.

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