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Positive New Year: कौन है बालौदा बाजार के डाकेश्वर वर्मा? खास कलाकृति को पीएम मोदी और शाह दे चुके हैं अपने घर में जगह

Chhattisgarh Positive Teacher: बालौदा बाजार में एक शिक्षक ऐसे भी हैं, जो दूसरे शिक्षकों के लिए मिसाल साबित हुए हैं. बिना किसी गुरु के ही उन्होंने ऐसी कला में महारत हासिल कर ली है, जो केवल लकड़ी की कलाकृति नहीं बनाती, बल्कि उनके जीवन को सपनों में पिराती है. आइए आपका इस खास और प्रेरणात्मक शिक्षक से परिचय कराते हैं... 

Positive New Year: कौन है बालौदा बाजार के डाकेश्वर वर्मा? खास कलाकृति को पीएम मोदी और शाह दे चुके हैं अपने घर में जगह
बालौदा बाजार के शिक्षक की कलाकृति है बहुत खास

Baloda Bazar Special Teacher: कहते है कि जुनून और मेहनत जब एक साथ मिल जाए, तो इंसान अपने आप में एक मिसाल बन जाता है... ऐसा ही एक जुनूनी शिक्षक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बलौदा बाजार में है. यहां के एक शिक्षक ने बिना किसी गुरु (Teacher without Teacher) के काष्ठ कला सीखी और लकड़ी के साधारण टुकड़ों को अपनी कल्पना और हुनर से सपनों का आकार देना शुरू किया. अब उनकी यह कला न केवल उनकी कहानियां ही बयां नहीं करती हैं, बल्कि उनकी बनाई कलाकृतियां (Artworks) हर किसी के दिल को छू जाती है. बलौदा बाजार के भाटापारा में रहने वाले डाकेश्वर वर्मा (Dakeshwar Verma) का बचपन साधारण था. शिक्षक बनने का सपना उन्होंने पूरा किया, लेकिन दिल में कुछ अधूरा-सा था...

डाकेश्वर वर्मा की बनाई हुई खास कलाकृतियां

डाकेश्वर वर्मा की बनाई हुई खास कलाकृतियां

कैसे बनानी शुरू की लकड़ी की कलाकृति

डाकेश्वर वर्मा बताते हैं कि एक दिन सड़क पर लकड़ी के टुकड़े पर कलाकारी करते एक व्यक्ति को नाम लिखते देखा. उस वक्त लकड़ियों के टुकड़ों ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचा. फिर क्या था, वे इस कला को संवारने में जुट गए और साथ ही अपनी प्रतिभा से उन्होंने बेजान लकड़ियों को सुंदर रूप देना शुरू कर दिया. उनके हाथों ने जब धीरे-धीरे इन लकड़ियों को आकार देना शुरू किया, तब पहली बार उन्होंने भगवान गणेश की एक छोटी-सी आकृति बनाई और यही से इसे अपना रास्ता बना लिया. वे कहते हैं कि बिना किसी गुरु और बिना किसी प्रशिक्षण के उन्होंने सिर्फ अपने जुनून और मेहनत से दिन-रात अभ्यास कर अपने सपने को आकर देते रहे. 

कलाकृति बनाते डाक्श्वेर शर्मा

कलाकृति बनाते डाक्श्वेर शर्मा

दो बार मिला राज्यपाल पुरस्कार

जब लोग कहते हैं कि लकड़ी काटने से किसी का घर नहीं चलता, तब उनके लिए डाकेश्वर की बनाई कलाकृतियां एक करारा जवाब हैं. आज उनकी कलाकृतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्रियों के घरों की शोभा बढ़ा रही हैं. दो बार राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित डाकेश्वर की कला सरकारी भवनों और छत्तीसगढ़ राजभवन में भी सजाई गई हैं. उनकी कला को एक शानदार और जोरदार पहचान मिल रही है. इससे उन्हें भी अधिक प्रेरणा मिलती है और वे और भी अच्छी कलाकृतियां बनाते हैं.

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गांव के अन्य लोगों को भी सिखा रहे कला

डाकेश्वर अब अपने गांव की महिलाओं और युवाओं को भी इस कला को सिखा रहे हैं. वे कहते हैं कि हर साधारण चीज में सुंदरता छिपी होती है, बस उसे देखने और गढ़ने की नजर चाहिए. सपनों की कीमत होती है, लेकिन उन्हें पूरा करने का संतोष अनमोल है. एनडीटीवी से उन्होंने कहा कि 2025 में सरकार से उम्मीद होगी कि नए साल में सरकार उनके जैसे कला को जानने वालों की कलाओं को और निखारने के लिए राज्य में लगने वाले सभी मेला में स्टॉल उपलब्ध कराए, जिससे स्थानीय कला भी लोगों की नजर में आ सके. 

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