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This Article is From Feb 13, 2024

कैसे थे वो खौफनाक 40 घंटे: 'मारपीट नहीं की बस रात भर...', नक्सलियों की कैद से छूटे युवकों ने NDTV से की बात

युवकों ने बताया कि नक्सलियों ने कभी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया. दो रात और एक दिन उन्होंने नक्सलियों के साथ बिताया. इस बीच नक्सली लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहे. दिन में वे झोपड़ी में रहते थे और रात को पैदल चलाते थे.

कैसे थे वो खौफनाक 40 घंटे: 'मारपीट नहीं की बस रात भर...', नक्सलियों की कैद से छूटे युवकों ने NDTV से की बात
नक्सलियों ने अगवा किए गए चारों युवकों को किया रिहा

Sukma News: रविवार को जगरगुंडा थाना क्षेत्र के टेकलगुड़म गांव से अगवा किए गए चार युवकों को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है, लेकिन जेसीबी मशीन को नक्सलियों ने नहीं लौटाया है. मंगलवार की सुबह चारों युवक रिहाई के बाद सीधे टेकलगुड़म पुलिस कैंप पहुंचे जहां सीआरपीएफ जवानों ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया. इसके बाद वे जिला मुख्यालय पहुंचे. युवकों ने नक्सलियों की ओर से किसी तरह की मारपीट या दुर्व्यवहार करने से इनकार किया है. 40 घंटे तक नक्सलियों के कब्जे में रहे युवकों से एनडीटीवी ने रिहाई के बाद बातचीत की.

नक्सलियों के चंगुल से रिहा होने के बाद युवकों ने एनडीटीवी को बताया कि रविवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे टेकलगुड़म गांव में नल जल योजना के तहत पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा था. इसी दौरान 20 से 25 की संख्या में ग्रामीण वेशभूषा में नक्सली आ धमके. नक्सलियों ने बिना किसी अनुमति के गांव में काम करने को लेकर नाराजगी जताई और काम बंद करवाते हुए अपने साथ चलने को कहा. मौके पर जेसीबी मशीन भी खड़ी थी जिसे भी वे अपने साथ लेकर चले गए. टेकलगुड़ा से करीब 3 किमी दूर जंगल में 4 युवकों को ले जाकर बैठा दिया. शाम ढलते ही वे चारों को पास के किसी गांव ले गए.

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'कैंप खुलने के बाद याद आया विकास कार्य'

नक्सली अगवा किए गए चारों युवकों से एक ही बात पर नाराजगी जताते रहे. युवकों ने बताया कि नक्सली बार-बार यही कह रहे थे कि कैंप खुलने से पहले आप लोग कहां थे. बुनियादी सुविधाओं को तरसते ग्रामीणों की सुध कैंप खुलने से पहले क्यों नहीं ली गई. अब जब कैंप खुल गया है तो गांव में विकास कार्य करने पहुंच रहे हैं. वर्तमान प्रदेश की भाजपा सरकार की कार्यशैली पर भी नक्सलियों ने नाराजगी जताई है.  

रात भर पैदल चलाते थे नक्सली

युवकों ने बताया कि नक्सलियों ने कभी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया. दो रात और एक दिन उन्होंने नक्सलियों के साथ बिताया. इस बीच नक्सली लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहे. दिन में वे झोपड़ी में रहते थे और रात को पैदल चलाते थे. कहां और किस गांव में उन्हें ले जाया जाता, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है. हर गांव एक जैसा ही नजर आता था.  

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'परिजनों ने की थी रिहाई की अपील'

रविवार 11 फरवरी को नक्सलियों की ओर से चारों युवकों का अपहरण करने की खबर के बाद परिजनों ने नक्सलियों से रिहा करने की अपील की थी. मीडिया में खबर चलने के बाद मंगलवार की सुबह सभी को रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद अपहृत युवक शेख निजात ने अपने पिता को फोन कर अपने कुशल होने की सूचना दी.

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