Naxal peace offer: भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बने नक्सली अब एक नया दांव खेल रहे हैं. उन्होंने पहली बार अपनी बंदूकों को छोड़कर शांति और बातचीत का रास्ता अपनाने की पेशकश की है. उन्होंने एक चिट्ठी जारी की है, जो कई मायनों में चौंकाने वाली है. इस चिट्ठी में न सिर्फ बातचीत का न्योता है, बल्कि इसमें कई ऐसी बातें हैं जो आज तक माओवादी संगठनों ने कभी नहीं की थीं. माओवादी संगठन के प्रवक्ता अभय ने एक पत्र जारी कर साफ कहा है कि वे सरकार से शांति वार्ता करना चाहते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई है कि उन्हें एक महीने का वक्त दिया जाए ताकि बातचीत की शुरुआत हो सके.
सरकार ने कहा था कि वे बातचीत के लिए तैयार है लेकिन शर्तों के साथ नहीं. अब सवाल ये है कि इस बार की चिट्ठी क्यों है इतनी खास? आइए जानते हैं इसकी 5 सबसे बड़ी वजहें:
1. पहली बार फोटो का इस्तेमाल: माओवादियों के इतिहास में पहली बार किसी पत्र में किसी नेता की फोटो लगाई गई है. यह फोटो 5 करोड़ रुपये के इनामी माओवादी नेता वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू दादा की है, जो संगठन के बड़े नेताओं में से एक हैं.
2. ईमेल आईडी दी गई: आमतौर पर माओवादी संगठन छुपकर काम करता है, लेकिन इस बार उन्होंने सीधे-सीधे अपनी ईमेल आईडी जारी की है. यह दिखाता है कि वे सरकार के साथ संपर्क बनाने को लेकर गंभीर हैं.
3. हथियार छोड़ने की बात: यह पहली बार है जब माओवादियों ने साफ-साफ कहा है कि वे हथियार छोड़ने को तैयार हैं, जो कि उनकी विचारधारा के बिल्कुल उलट है.
4. संगठन में फूट: पत्र से पता चलता है कि माओवादी संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कुछ नेता शांति चाहते हैं, जबकि कुछ अभी भी लड़ने के पक्ष में हैं. यह आपसी मतभेद उनके लिए एक बड़ी चुनौती है.
5. राजनीति में आने की इच्छा: सबसे बड़ी बात यह है कि माओवादियों ने संकेत दिए हैं कि वे अब सक्रिय राजनीति में आना चाहते हैं. उनका मानना है कि जनता के मुद्दे अब बंदूक के बजाय लोकतांत्रिक तरीके से उठाए जा सकते हैं.
यह माओवाद के इतिहास में एक नया अध्याय है, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है.
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