
Naxal Ceasefire News: नक्सलियों के खिलाफ बस्तर में चौतरफा दबाव बढ़ रहा है. नक्सलियों के गढ़ में लगातार सुरक्षाबल के जवान घुसकर सफल एनकाउंटर कर नक्सलियों को धूल चटा रहे हैं. इन मुठभेड़ों से घबराकर नक्सल संगठन के लोग टूटकर सरेंडर करने के लिए भी बस्तर के अलग-अलग जिलों में पहुंच रहे हैं. इन सबके बीच नक्सलियों की उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो रूपेश ने सरकार से शांति वार्ता के लिए एक सशर्त प्रेस नोट जारी किया है.
इस प्रेस नोट में नक्सली संगठन ने साफतौर पर लिखा है कि हम सरकार से शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए अनुकूल वातावरण पहले बनना चाहिए. इस प्रेस नोट में कहा गया है कि शांति वार्ता के लिए सुरक्षा बलों की कार्रवाई रुकनी चाहिए. वार्ता एकपक्षीय न होकर दोनों तरफ से होनी चाहिए.
नक्सलियों से भी की हमला नहीं करने की अपील
प्रेस नोट में आगे लिखा गया है कि अभी हाल में ही हमारी केंद्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था, पर उस पर भी विचार नहीं किया गया. इस प्रेस नोट में कहा गया है कि पुलिस जवानों को हम दुश्मन नहीं मानते हैं. उन्हें हम जनता का बेटा मानते हैं. इस प्रेस नोट में माओवादी संगठन ने अपने पीएलजीए नक्सलियों से भी अपील की है कि पुलिस बलों पर हमला न करें और जनसमर्थन से बातचीत का रास्ता निकालें.
मीडिया और सरकार से की ये अपील
प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि शांति वार्ता के लिए हम स्थानीय नेतृत्वकारी लोगों से मिलना चाहते हैं. उनकी राय लेना चाहते हैं. इस प्रेसनोट पर लिखा गया है कि हाल में ही एसजेडसी मेम्बर रेणुका को भी मारने के बाद इस हत्याकांड को जायज ठहराते हुए हमें विकास विरोधी बताने का दुष्प्रचार किया जा रहा है, जबकि हम राशन दुकान, स्कूल, आंगनबाड़ी, पेयजल, बिजली इसका विरोध नहीं करते हैं. इस पत्र पर नक्सलियों ने छतीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा की ओर से शांतिवार्ता के लिए जो बातें रखी थी, उस पर हम विचार करेंगे. हालांकि, इस में कहा गया है कि बस्तर की जनता में डर का माहौल है, उसे दूर करने की भी जरूरत है. इस प्रेस नोट में नक्सलियों ने सरकार से अपील की है कि वे एकतरफा बयान देना बंद कर एक खुला और ईमानदार संवाद करें. साथ ही मीडिया से भी आग्रह किया है कि सरकार का पक्ष एकतरफा न दिखाए, बल्कि हमारे संगठन की बाते भी रखें.
यह भी पढ़ें- CM साय ने मंत्रियों और अफसरों के साथ बैठक में दिए जरूरी निर्देश, कहा- केवल गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि...
दरअसल, लगातार बढ़ते दबाव के बीच इस तरह का प्रेसनोट सरकार की 31 मार्च 2026 तक नक्सल खात्मे के ऐलान के बाद घबराहट के रूप में भी देखी जा सकती है. हाल में ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह बस्तर प्रवास पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने नक्सलियों से दो टूक समर्पण करने और हथियार छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ने की अपील की थी. उसके बाद आया यह पत्र नक्सलियों की बेचैनी को जाहिर कर रहा है.
यह भी पढ़ें- पूरे देश में नक्सली युद्धविराम को तैयार ! सेंट्रल कमेटी ने कहा- सरकारें ऑपरेशन रोकें तो हम शांतिवार्ता करेंगे