Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए आज पहले चरण (First Phase Election) का मतदान हुआ. पहले चरण में छत्तीसगढ़ की सिर्फ एक ही सीट पर वोटिंग हुई है. ये प्रदेश की हॉट सीट है. ये इसलिए क्योंकि यहां चुनौती नक्सलवाद की है. चुनौती ग्रामीणों से लेकर फ़ोर्स और पोलिंग पार्टियों के लिए भी है. नक्सल धमकी और आईईडी के खतरों के बीच इस बार भी लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. ऐसे इलाकों में भी इस बार वोटिंग हुई, जहां पिछले लोकसभा चुनावों में नक्सलियों ने हिंसा की थी.
दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने BJP के विधायक भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) की गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ाया था. जिसमें भीमा सहित 5 जवानों की शहादत हुई थी. ये घटना साल 2019 को लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हुई थी. भीमा चुनाव का प्रचार कर बचेली से जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा लौट रहे थे. यहां श्यामगिरी में नक्सलियों ने IED Blast कर भीमा की गाड़ी को उड़ा दिया. इस घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल था. लेकिन इस बार इस गांव में इस लोकसभा चुनाव में ग्रामीणों में अच्छा उत्साह देखने को मिला. मतदान केंद्रों में सुबह से ही ग्रामीणों की कतार दिखी. यहां उन्होंने पहुंचकर जमकर वोट डाले.
इंद्रावती नदी पार के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर NDTV को बताया कि नदी पार के इलाके में इस बार चुनाव का अच्छा माहौल है. इलाके में सुरक्षा बलों का नक्सलियों पर दबाव है. नक्सली रात के वक़्त गांव में आते हैं. हालही में चुनाव बहिष्कार के पर्चे लगाने पहुंचे थे तो कुछ ग्रामीणों को धमकी दी थी कि वोट डालने नहीं जाएं और न ही किसी नेता को इन गांवों में घुसने दें. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अब हम गांव का विकास चाहते हैं. इस बार चेरपाल में भी पोलिंग बूथ बना है. ग्रामीण जाकर वोट दे रहे हैं.
सरपंच की हत्या कर दी थी
दंतेवाड़ा के नदी पार के गांव पाहुरनार में साल 2018 को विधानसभा चुनाव से पहले नक्सलियों ने सरपंच की हत्या कर दी थी. इस इलाके में नक्सली ग्रामीणों को धमकी देते हैं कि वोट न दें. यदि वोट दिया तो जान से मारने की धमकी दी थी. इस बार पाहुरनार के अलावा चेरपाल में भी पोलिंग बूथ बनाया गया है. लोकसभा चुनाव में पहली बार है जब वोट देने के लिए इंद्रावती नदी पार के ग्रामीणों को नदी पर करके नहीं आना पड़ा. नक्सलियों की धमकी और चुनौती के बीच ग्रामीण अपने गांव में बने बूथ में जाकर ही वोट दिया.
बीजापुर जिले के केतुलनार भी साल 2014 को दहला था. इस समय हुए लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी की बस को IED ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. जिसमें मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी. इसके बाद इलाके में भारी दहशत था. लेकिन यहां भी इस बार लाल आतंक पर लोकतंत्र हावी दिखा. पोलिंग बूथों में पहुंच ग्रामीणों ने अपने वोट डाले. लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सबसे बड़ी भूमिका निभाई.
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