Chhattisgarh News : जनपद पंचायत बलरामपुर (District Panchayat Balrampur) के अंतर्गत आने वाले कई ग्राम पंचायतों में लाखों की लागत से सामुदायिक शौचालय भवनों का निर्माण तो कर दिया गया लेकिन इन शौचालयों (Public Toilets) में सिर्फ ताले लगे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक सामुदायिक शौचालय को बने हुए तीन से चार साल बीत गए हैं, लेकिन आज भी कई ग्राम पंचायतों के शौचालयों (Community Toilets) के दरवाजे पर ताले लटक रहे हैं. वहीं कई सामुदायिक शौचालय का अधूरा निर्माण कर यथा स्थिति छोड़ दिया गया है.
2020-21 में साढ़े तीन लाख रुपए की लागत से बना था शौचालय
सामुदायिक शौचालय के बंद होने से स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि सरकार (Chhattisgarh Government) की इस योजना का उद्देश्य लोगों को सुलभ प्रसाधन का लाभ पहुंचाना है. इसके लिए सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर हर पंचायत क्षेत्र में सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है. आपको बता दें जनपद पंचायत बलरामपुर के कई ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2020-21 में साढ़े तीन लाख रुपए की लागत से सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था.
ये भी पढ़ें - Petrol-Diesel Price Today MP-CG: अपडेट हुए पेट्रोल-डीजल के रेट, जानें एमपी-छत्तीसगढ़ के शहरों में क्या हैं कीमत
कहीं कूड़ा तो कहीं लगे हैं ताले
बलरामपुर जनपद मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत ओबरी में आज भी सामुदायिक शौचालय भवन अधर में लटका हुआ है. जबकि ग्राम पंचायत सुर्रा के साप्ताहिक बाजार मैदान पर बने सामुदायिक शौचालय भवन को बने तीन वर्ष हो गए लेकिन आज भी दरवाजे पर ताले लटके हैं. वहीं ग्राम पंचायत बरदर में सामुदायिक शौचालय बना तो दिया लेकिन शौचालयों के अंदर सिर्फ कूड़ा-करकट भरा हुआ है. संतोषी नगर ग्राम पंचायत में बना शौचालय भवन बाजार आने वाले व्यवसाइयों का सामान रखने का गोदाम बना पड़ा है. वहीं शौचालय में पानी के साथ-साथ किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है.
अधिकारी शिकायत सुनने को तैयार नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच और सचिव के द्वारा जैसे-तैसे शौचालय भवन बनवा दिया गया और शौचालय की बाकी राशि को डकार गए. तब से शौचालय जस का तस पड़ा हुआ है. इसका लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. ग्रामीण दर्जनों बार शौचालय सुचारू रूप से संचालित कराने को लेकर संबंधित विभाग के आला अधिकारियों के पास गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है. जिससे साप्ताहिक बाजार में आने जाने वाले ग्रामीणों के साथ स्थानीय लोगों को सुलभ प्रसाधन का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
ये भी पढ़ें - Madhya Pradesh में आफत की बारिश! Dewas में अनाज को तरसे बाढ़ पीड़ित