कोरिया (Korea) जिले के नगर पालिका बैकुंठपुर (Baikunthpur) और शिवपुर चरचा की 70 हजार आबादी को पानी की आपूर्ति करने वाले गेज बांध (Gej Bandh) का पानी घटकर 35.74 प्रतिशत हो गया है. ये पानी सिर्फ डेढ़ से दो महीने के लिए ही पर्याप्त है. वहीं अगर जून महीने में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो दोनों नगर पालिका को जुलाई तक पानी उपलब्ध कराने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
गेज बांध का पानी घटकर 8.18 एमसीएम पहुंचा
बांध में घटते जलस्तर को लेकर जल संसाधन विभाग ने सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया है. हालांकि विभागीय अफसरों का दावा है कि शहरवासियों को पानी की कमी नहीं होगी, क्योंकि पिछले साल मार्च महीने में बांध का जल स्तर 5.95 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) था. यानी कि बांध का पानी घटकर 26 प्रतिशत तक पहुंच गया था. इस साल बांध में 8.18 एमसीएम पानी है.
दूसरी ओर बैकुंठपुर के खूटनपारा इंटकवेल और स्टाप डैम की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही नया फिल्टर प्लांट भी बनाया गया है. इससे स्टॉप डैम के पास नदी में जलभराव भी अच्छा है, लेकिन गेज नदी गाद, झाड़ियों और गंदगी से पटी पड़ी हुई है. साथ ही बैकुंठपुर के मध्यम सिंचाई परियोजना गेज के जल स्तर में हर साल कमी देखी जा रही है.
जल जीवन मिशन से 43 गांवों को पानी देने की तैयारी
गेज बांध से जहां एक ओर दो शहरी क्षेत्रों में ही पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरी ओर पीएचई विभाग ने 43 गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए सामूहिक जल प्रदाय योजना तैयार की है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब बांध का पानी शहरी क्षेत्र में ही पर्याप्त नहीं है तो गांवों में कैसे पानी पहुंचाया जाएगा? वहीं गेज के पानी को इन गांवों तक पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है.
बीते साल गर्मी में 1370 लाख लीटर पानी की हुई थी खपत
बीते साल गेज बांध में 5.95 एमसीएम पानी था, जबकि अप्रैल महीने में पानी बढ़कर 6.09 एमसीएम पहुंच गया था. दरअसल, बांध में पानी की बढ़ोतरी मार्च के अंतिम दिनों और अप्रैल के महीने में जिले में हुई बारिश के कारण हुई थी. वहीं जून महीने में बांध का पानी घटकर 4.72 एमसीएम पहुंच गया था, यानी गर्मी के इन तीन महीनों में पिछले साल बांध से 1.37 एमसीएम यानी 1370 लाख लीटर पानी की खपत हुई थी. इस साल मार्च महीने से ही तापमान बढ़ने लगा है. जिले में अधिकतम तापमान बढ़कर 35 डिग्री तक पहुंच चुका है. ऐसे में गर्मी की वजह से बांध से 11-13 फीसदी पानी वाष्पीकरण के कारण उड़ जाता है.
मई-जून में पानी की कटौती करनी पड़ सकती है
विभागीय अफसरों का कहना है कि जिस गति से बांध का पानी कम हो रहा है. उससे अनुमान है कि मई और जून महीने के भीषण गर्मी में शहरी क्षेत्रों में पानी की कटौती करनी पड़ सकती है. बांध से पहले ही रबी फसल में सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया गया है. इस वजह से स्थिति नियंत्रण में है.
बांध से प्रतिदिन 300 लाख लीटर पानी छोड़ा जा रहा
जल संसाधन विभाग के अनुसार गर्मी के दिनों में गेज बांध से रोज 300 लाख लीटर पानी छोड़ा जा रहा है. इससे बांध में तेजी से पानी कम हो रहा है. बांध गेज नदी पर बना हुआ है, इसलिए बांध में पानी की आवक भी हो रही है. हालांकि इससे कई ज्यादा अधिक पानी खर्च हो रहा है. एसईसीएल, चरचा और बैकुंठपुर नगर पालिका शहर में पानी सप्लाई के लिए इसी बांध के भरोसे हैं.
शहरी क्षेत्रों में पेयजल की नहीं आएगी समस्या
जल संसाधन विभाग के एसडीओ बीके त्रिपाठी ने कहा कि गेज बांध में वर्तमान में 8.18 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है. यह भराव क्षमता का 35.74 प्रतिशत है. बांध में घटते जलस्तर को लेकर विभाग ने सिंचाई के लिए पानी देना बंद कर दिया है. उन्होंने बताया कि बीते साल मार्च में बांध में 5.95 एमसीएम पानी था. ऐसे में शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या नहीं आएगी.
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