Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 General Election) के लिये छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सभी 11 सीटों में अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. भारतीय जनता पार्टी ने कोरबा लोकसभा (Korba Lok Sabha constituency) से राज्यसभा सांसद (Member of Parliament Rajya Sabha) सरोज पांडेय (Saroj Pandey) को टिकट दे कर इस सीट को हाइप्रोफाइल (High Profile Seat) बना दिया है. भाजपा ने टिकट वितरण में सधी हुई रणनीति के साथ कदम रखने के संकेत इसके जरिए दे दिए हैं. राज्यसभा सांसद को लोकसभा का टिकट देकर पार्टी ने यह जाहिर कर दिया है कि BJP किसी भी सीट को कम नहीं आंक रही है.
कोरबा लोकसभा सीट का अब तक का इतिहास
2008 में परिसीमन के बाद कोरबा लोकसभा अस्तित्व में आई, इससे पहले जांजगीर लोकसभा में आती थी. आदिवासी वोटरों से बहुल इस लोकसभा क्षेत्र के गठन के बाद हुए तीन चुनाव में दो बार कांग्रेस ने और एक बार भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया है. मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आ रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चरणदास महंत ने भाजपा की करुणा शुक्ला को 20737 वोटों के अंतर पर हरा कर कब्जा किया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर फैक्टर बना और भाजपा के डॉ बंशीलाल महतो ने कांग्रेस के चरणदास महंत को 4265 मतों से हरा कर अपने कब्जे में ले लिया था. 2019 के हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ज्योत्सना चरणदास महंत ने भाजपा के ज्योतिनंद दुबे को 26249 मतों से पराजित कर वापस कांग्रेस के खाते में इस सीट को डाला था.
कोरबा लोकसभा डेमोग्राफिक
कोरबा लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमे कोरबा जिले की चार (कोरबा ,कटघोरा, रामपुर और पाली तनाखार) सीट और कोरिया जिले की तीन (भरतपुर-सोनहत, बैकुंठपुर, मनेंद्रगढ़) सीट और गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले की मरवाही विधानसभा सीट आती है.
कोरबा लोकसभा में जातीय समीकरण
कोरबा लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति बहुल है. यहां की आबादी में अनुसूचित जनजाति 44.5 %, अनुसूचित जाति 9.2%, ओबीसी और सामान्य 42.8% जबकि मुस्लिम 3.5 % हैं. वर्तमान में कोरबा लोकसभा में कुल 15 लाख 99 हजार 188 मतदाता हैं, जिनमें से 7 लाख 49 हजार 560 पुरुष और 7 लाख 59 हजार 225 महिला और 55 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
कांग्रेस पर बढ़ गया दवाब
सरोज पांडेय को भाजपा से टिकट मिलने पर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के ऊपर दबाव बढ़ गया है. बराबरी का मुकाबला करने के लिए अब कांग्रेस को उसी कद के किसी बड़े चेहरे पर दांव लगाना होगा, नहीं तो इस सीट पर दोबारा कब्जा करना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा. बताया जा रहा है कि सरोज पांडेय की छवि से BJP फायदा होगा और भितरघात की संभावना हाेगी.
वहीं दूसरी ओर भाजपा के उन स्थानीय नेताओं को निराशा हाथ लगी है जो टिकट की आस में थे. उनको उम्मीद थी कि भाजपा की नई पॉलिसी में उन्हें टिकट मिल सकता है और वे इसके लिए आश्वस्त भी थे कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम के सहारे उनकी नैय्या पार लग जाएगी. लेकिन अब उनके हाथ से टिकट फिसल चुका है. वहीं सरोज पांडेय के कद को देखते हुए भितरघात जैसे नुकसान होते हुए नहीं दिख रहे हैं. सरोज पांडेय का कोरबा लोकसभा से प्रत्याशी बनने के बाद जिले के पहले प्रवास कार्यक्रम में जिस तरह से कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी थी, उसने यह साबित कर दिया कि भाजपा में उनकी लोकप्रियता काफी है.
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