CG Dhan Kharidi: छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) की सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर 21 किवंटल धान खरीदी का वायदा के बावजूद उनके गृहजिले जशपुर (Jashpur Dhan Kharidi) में औसत फसल के अनुसार धान खरीदी के निर्देश दिए गए हैं. यहां धान खरीद केन्द्रों में किसानों से 21 क्विंटल धान के बजाय 14 किवंटल धान खरीदी को लेकर किसानों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. आक्रोशित किसान सरकार के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं. वहीं अपेक्स बैंक द्वारा जारी आदेश से नाराज होकर अपनी धान वापस ले जा रहे हैं.
वादा निभाने की मांग
यही वजह है कि जशपुर जिले में अभी तक कहीं भी किसानों से धान खरीदी शुरू नहीं हो पाई है. आज धान खरीदी केंद्र में किसानों ने सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की और वादा अनुरूप खरीदी की मांग की है. किसानों का कहना है कि हमारे पड़ोसी जिले सरगुजा और रायगढ़ में 21 क्विंटल के अनुसार टोकन काटे जा रहे हैं उसके विपरीत मुख्यमंत्री के गृहजिला जशपुर में अधिकतम 14 किवंटल धान खरीदी के निर्देश दिए गए हैं. इसी विवाद को लेकर किसान अपना धान खरीदी केंद्र से उठा कर वापस लौट जा रहे हैं.
वापस लौटे किसान
आज तमता धान खरीदी केंद्र में अंचल के किसान और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूजा अर्चना कर धान खरीदी की शुरुआत करने से पहले ही किसानों का ग़ुस्सा फुट पड़ा.
दरअसल, अपेक्स बैंक के अधिकारियों ने जशपुर जिले में 21 किवंटल के बजाय 14 किवंटल की धान खरीदी के लिखित निर्देश दिए गए हैं. यहां के किसान रोशन प्रताप सिंह ने बताया कि इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से शिकायत की जाएगी.
क्या बोलीं बीजेपी विधायक?
इधर सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष एवं पत्थलगांव विधायक गोमती साय ने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों से 21 क्विंटल धान खरीदी का ही वादा किया है. हमारे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार इस वादे को हर हालत में पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में आज ही मेरे संज्ञान में बात आई है. इस मामले से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी को अवगत कराया जाएगा और किसानों से 21 किवंटल के अनुसार धान खरीदी की जाएगी.
धान खरीदी शून्य
जशपुर जिले में 24 सेवा सहकारी समितियां हैं, जिसमें 46 धान खरीदी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. लेकिन आज किसी भी किसान की धान खरीदी नही हो पाई है. इन सभी केंद्रों में वरदानों की कमी शुरुआती स्तर पर नहीं है, इसके बाद भी धान खरीदी शून्य है.
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