IAS Vilas Bhoskar Transfer: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के कलेक्टर विलास भोस्कर के ट्रांसफर के बाद जिले में ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. उनके ट्रांसफर की खबर सामने आते ही फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और व्हाट्सएप ग्रुपों में पोस्ट और संदेशों की बाढ़ आ गई. आम नागरिकों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता, युवा और जनप्रतिनिधि तक इस फैसले पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं.
सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने कलेक्टर विलास भोस्कर के कार्यकाल की एक ओर सराहना कर रहे हैं तो दूसरी कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके कार्यकाल को लेकर सवाल भी उठाए हैं. आलोचनात्मक टिप्पणियों में कुछ फैसलों और कार्यशैली पर असहमति जताई गई है.
ऐसे यूजर्स का कहना है कि प्रशासनिक सख्ती के कारण आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.कुल मिलाकर कलेक्टर विलास भोस्कर का तबादला सरगुजा में सामान्य प्रशासनिक बदलाव से कहीं अधिक चर्चा का विषय बन गया है.सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध की यह तस्वीर बताती है कि उनका कार्यकाल जिले के लोगों पर गहरी छाप छोड़ गया है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नए कलेक्टर के आने के बाद प्रशासनिक व्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ती है.
तीनों विधायकों ने हटाने के लिए लगाया था दम....
दरअसल सरगुजा जिले में पूर्व कलेक्टर विलास भोस्कर उस समय ज्यादा चार्चा में जब उनको हटाने के लिए सरगुजा के तीनों विधायकों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. लेकिन भाजपा संगठन या कहें भाजपा की मातृत्व संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में गहरी पैठ होने के कारण तीनों विधायक ने पूर्व कलेक्टर विलास भोस्कर को टस से मस नहीं कर सकें. बताया जाता है इसके बाद पूर्व कलेक्टर सरगुजा विलास भोस्कर विधायकों का कॉल रिसीव करना भी बंद कर दिया था. ये बातें खुद विधायकों ने आम लोगों से कही थी. जिसके कारण भाजपा विधायकों से कलेक्टर सरगुजा की दूरी बनते चली गई थी.
मीडिया संघ ने भी CM से की थी शिकायत
सरगुजा जिले में पदस्थापना के बाद से पूर्व कलेक्टर विलास भोस्कर मीडिया से दूरी बनाए रखें. किसी भी मुद्दे में जब भी मीडिया कर्मी उनका पक्ष लेना चाहते वे या तो मना कर देते या फिर मीडिया कर्मियों से मिलते ही नहीं थे. आप को जानकर ताज्जुब होगा कि जब कोई मीडियाकर्मी उनके कार्यकाल में जाकर मिलना चाहते थे तो उनके कर्मचारी मोबाइल कलेक्टर कार्यालय के बाहर ही जमा कर लेते थे. जिसके कारण सरगुजा मीडिया संघ ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की थी. लेकिन तब भी इनके उपर कोई एक्शन नहीं हुआ जिसके बाद मीडिया कर्मियों ने भी इनसे दूरी बना ली थी.
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