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अतिक्रमण ने छीना बच्चों से आश्रय, यहां आंगनबाड़ी भवन के लिए नहीं मिल रही जगह

Encroachment took away shelter from children: बच्चों को कुपोषण मुक्त और शिक्षित करने के लिए सरकारी धन से हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को आश्रय नहीं मिल पा रही है. ये दयनीय हालत सिर्फ बलौदा बाजार की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों की है.

अतिक्रमण ने छीना बच्चों से आश्रय, यहां आंगनबाड़ी भवन के लिए नहीं मिल रही जगह

Encroachment snatches shelter from children in Chhattisgarh: भारत सरकार ने बाल भूख और कुपोषण से निपटने के लिए साल 1975 में आंगनबाड़ी केंद्रों की शुरुआत की थी. बच्चों को कुपोषण मुक्त और शिक्षित करने के लिए सरकारी धन से हर साल लाखों रुपये खर्च भी किए जा रहे हैं, लेकिन इसके विपरित आंकड़ों की बात करें तो बड़े अतिक्रमण के कारण बच्चों को आश्रय नहीं मिल पा रही है. बलौदा बाजार जिले के अकेले शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी के लिए 1200 स्क्वायर फीट जगह तक सरकार को नहीं मिल पा रही है.

अतिक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए जमीन नहीं

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में शहर के पारा, मोहल्लों और वार्डों से लेकर गांवों तक मेंमहत्वपूर्ण भूमिका आंगनबाड़ी केंद्र निभाती हैं. गर्भवती महिलाएं हों या दूध पिलाने वाली माताएं या फिर 0-6 वर्ष आयु के बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवा जैसी महती जिम्मेदारी या फिर सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन करना हो सभी काम आंगनबाड़ी केंद्रों के योगदान से पूरा होता है. वहीं जब आंगनबाड़ी केंद्रों के मेंटेनेंस, स्थापना और निर्माण की बात की जाए तो देखने को मिल रहा है कि अतिक्रमण के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है.

महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी टिकवेंद्र जाटवार ने बताया कि भवन विहिन आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए कार्रवाई की जा रही है. जल्द ही सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को भवन उपलब्ध करा दिए जाएंगे.

बलौदा बाजार में 1587 आंगनबाड़ी केंद्र

बलौदा बाजार जिले में 1587 आंगनबाड़ी केदों की संख्या है. इसमें शहरी क्षेत्र में 158 हैं. शहरी क्षेत्र के मात्र 39 आंगनबाड़ी केंद्र में ही भवन हैं, जबकि 119 आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहिन हैं और किराए के मकान पर संचालित हो रहे हैं. जबकि शहरी क्षेत्र के बड़े हिस्से में अतिक्रमण है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र की बात की जाए तो 169 आंगनबाड़ी केंद्र भवन जर्जर हो गए हैं. वहीं 12 भवन विहिन आंगनबाड़ी केदो में से तीन के लिए ही भवन की स्वीकृति हो पाई है.

59 पदों पर निकली भर्ती 

कसडोल विकासखंड के सोनाखान तहसील के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए 59 पदों पर भर्ती निकाली गई है. ये आंगनबाड़ी केंद्र हाल ही में मिनी आंगनबाड़ी केंद्र से अपग्रेड होकर मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र बने हैं.

आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के हैं नियम 

आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित करने के लिए वनांचल क्षेत्र में जनसंख्या 50 होनी चाहिए, जबकि मैदानी इलाके में 150 से 300 आबादी वाले क्षेत्र में मिनी आंगनवाड़ी की स्थापना की जाती है. 500 से ऊपर आबादी वाले क्षेत्र में मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना होती है.

प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है आंगनबाड़ी केंद्रों पर 

शिशुओं के प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य, बाल पोषण विद्यालय शिक्षा और बच्चों के टीकाकरण, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं, प्रारंभिक शिक्षा और समग्र बाल विकास गतिविधियां आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रदान की जाती हैं. बाल्यावस्था की विभिन्न अवस्थाओं पर बच्चों की आवश्यकताओं की पहचान करने खासकर ऐसे बच्चे विशेष जो निर्धन और निम्न आय वर्ग  परिवारों से होते हैं, उनके स्वास्थ्य और विकास के लिए आंगनबाड़ी केंद्र भूमिका निभा रही हैं.

आंगनबाड़ी केंद्र 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों, किशोर युवतियों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं. साथ ही गांव में फैलने वाली बीमारियों में भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

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