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Chhattisgarh: यहां चालीस से अधिक गांवों में ब्लैक आउट, व्यवस्थाओं की खुल गई पोल!

MCB News: छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले से बिजली की समस्या को लेकर बड़ी खबर है. बता दें यहां 40 गांव में ब्लैक आउट है. कभी-कभी दो से तीन दिन में सिर्फ एक घंटे के लिए ही लाइट आती है. ग्रामीणों ने कहा हमारी समस्या जस की तस आज भी बनी हुई है..

Chhattisgarh: यहां चालीस से अधिक गांवों में ब्लैक आउट, व्यवस्थाओं की खुल गई पोल!
Chhattisgarh के इन 40 गांवों में ब्लैक आउट, व्यवस्थाओं की खुली पोल! सरकार की आस में बैठे ग्रामीण.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के विकासखंड भरतपुर में बिजली की समस्या ने एक बार फिर जिम्मेदारों की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है. भरतपुर के 40 से अधिक गांवों में पिछले दो दिनों से अंधेरे में डूबे हुए हैं. यहां कब तक बिजली बहाल हो पाएगी? इस बारे में अधिकारी भी कुछ बता नहीं पा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि विधायक रेणुका सिंह क्षेत्रीय दौरे पर पहुंची थी. इस दौरान अचानक बिजली गुल हो गई.

बिजली की समस्या जस की तस

10 घंटे तक ब्लैकआउट रहा, विधायक के विश्राम स्थल पर तत्काल जनरेटर की व्यवस्था की गई. जहां विधायक ठहरी हुई थीं, वहां उजाला था, जबकि स्थानीय ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर थे.समस्या को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है, सरकार भले बदलती रही हो लेकिन गांवों की बिजली समस्या जस की तस बनी हुई है.

अंधेरे के खौफ में ये गांव

भरतपुर से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा तक फैले गांव जैसे कन्नौज, कुआरी, नौडिया, पडरी, और ओह्निया में लगातार बिजली संकट बना हुआ है. बारिश के मौसम में बिजली का जाना और फिर कई दिनों तक न लौटना यहां के ग्रामीणों के लिए अब सामान्य सी बात हो गई है. 

ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं

बिजली की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जंगली जानवरों से है. अंधेरे में रहकर अपनी जान की हिफाजत करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश में बिजली का आना-जाना यहां की नियति बन चुकी है. कभी बिजली 1 घंटे के लिए आती है और फिर 2-3 दिन के लिए गायब हो जाती है. कई बार जंगली जानवरों के हमले की भी घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

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कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला

बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बरसात के दिनों में जंगल क्षेत्र में लाइटिंग ज्यादा होती है, जिससे इंसुलेटर जैसे उपकरण खराब हो जाते हैं. हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है, हर साल यह समस्या सामने आती है, लेकिन उसका कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है.

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