CG News In Hindi: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Surguja) जिले के विशेष संरक्षित जाति के श्रेणी में आने वाले जनजाति समुदाय को शिक्षा विभाग जागरूक कर रहा है. ताकि ये परिवार स्कूली शिक्षा से जुड़ सके. शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से शिक्षक जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं. जहां वे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों को प्रेरित कर रहे हैं.
दरअसल बुधवार को मैनपाट विकासखंड के दूरस्थ पहाड़ी बसाहटों में मैनपाट खंड शिक्षा अधिकारी पहुंचे . यहां विभाग की टीम ने पहाड़ी कोरवा,पंण्डो और मझवार समुदाय के लोगों से चर्चा की. बच्चों को हर दिन स्कूल भेजने के लिए कहा. इस बीच शिक्षा के महत्व को भी समझाया गया.
मुख्य धारा से काटा है ये समाज
बता दें कि मैनपाट का पहाड़ी कोरवा बस्ती घोराघाट पहुंच विहीन बसाहटों में आता है, सड़कों और पुलों का निर्माण इन क्षेत्रों में नहीं होने के कारण ये यह क्षेत्र समाज की मुख्य धारा से काटा ही रहता है. ऐसे में यहां रहने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. इसे देखते हुए मैनपाट विकासखंड शिक्षा अधिकारी योगेश शाही व स्थानीय शिक्षक कमलेश सिंह लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचे.
घर-घर पहुंच रही टीम
शिक्षकों ने कहा कि अगर बच्चे शिक्षित हों, तो योजनाओं का लाभ सही तरीके से पा सकते हैं.बच्चों के लिए स्कूल में सरकार ने सारी व्यवस्थाएं की है. पुस्तक, बैग, ड्रेस और भोजन जैसी कई जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं. इस दौरान विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ने पहाड़ी कोरवा जनजाति के सुखल साय, अमर साय , फागुन राम , विफल साय , सोमारू राम के घर जाकर उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया.
बीईओ योगेश शाही ने किया औचक निरीक्षण
औचक निरीक्षण के क्रम में मैनपाट बीईओ योगेश शाही इस दौरान सबसे पहले प्राथमिक शाला चोरकीपानी व माध्यमिक शाला चोरकीपानी का निरीक्षण किया. जहां निर्माणाधीन मा. शा. भवन को देखा. ग्रामीणों ने बताया कि गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कराया जा रहा है.जिससे दीवार की गुणवत्ता काफी कमजोर थी.विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों को निर्देशित किया कि बच्चों को निर्माणाधीन भवन से दूर रखेंगे.
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कम मिली यहां छात्रों की संख्या
साथ ही शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए निर्देशित किया.इसके बाद प्रा. शा. सारुजोबा पहुंचे. जहां बच्चों की उपस्थिति कम थी.इस पर प्रा. शा. के शिक्षक घुनेश्वर राम व संकुल समन्वयक के साथ पालक संपर्क के लिए बस्तियों में पहुचें.गौरतलब है, प्रा. शा. सारुजोबा में पहाड़ी कोरवा परिवारों के ही बच्चे पढ़ते हैं.
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