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कोरिया में E&M विभाग के सामने पलायन की नौबत, दफ्तर टूटा, नहीं रहा कोई ठिकाना

कोरिया जिला मुख्यालय में नालंदा परिसर के लिए प्रस्तावित विश्राम भवन के निर्माण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर प्रक्रिया तेज हो गई है. इसके लिए भूमि का चयन पहले ही किया जा चुका है और पुरानी बाउंड्री के साथ जल संसाधन विभाग से जुड़े भवनों को तोड़ने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है.

कोरिया में E&M विभाग के सामने पलायन की नौबत, दफ्तर टूटा, नहीं रहा कोई ठिकाना

कोरिया जिला मुख्यालय में नालंदा परिसर के लिए प्रस्तावित विश्राम भवन के निर्माण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर प्रक्रिया तेज हो गई है. इसके लिए भूमि का चयन पहले ही किया जा चुका है और पुरानी बाउंड्री के साथ जल संसाधन विभाग से जुड़े भवनों को तोड़ने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. निर्माण कार्य को गति देने के उद्देश्य से एक के बाद एक विभागीय ढांचे हटाए जा रहे हैं, ताकि निर्धारित समय पर परियोजना को आगे बढ़ाया जा सके.

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हालांकि, इस कार्रवाई की जद में अब ई एंड एम विभाग का अनुविभागीय कार्यालय भी आ गया है. कार्यालय परिसर से जुड़ी मशीनरी, उपकरण और पाइप लाइनें हटाकर खुले में रखी जा रही हैं. स्थिति यह है कि विभाग के पास अपने जरूरी सामान और संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

E & M विभाग के दफ्तर को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं

मजबूरी में विभाग को अपने ट्रक और अन्य वाहनों में सामान भरकर रखना पड़ रहा है, जिससे न केवल कार्य प्रभावित हो रहा है बल्कि संसाधनों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. सबसे गंभीर पहलू यह है कि ई एंड एम विभाग के लिए नए कार्यालय के स्थान को लेकर अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. न तो अस्थायी व्यवस्था की गई है और न ही स्थायी भवन के लिए कोई स्थल तय किया गया है.

सूरजपुर शिफ्ट कर पड़ सकता है ऑफिस

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द ही कार्यालय के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध नहीं कराया गया तो कार्यालय को सूरजपुर शिफ्ट करने की नौबत आ सकती है. यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है, जब कोरिया जिले के विभाजन के बाद भी कई महत्वपूर्ण शासकीय कार्यालय आज तक मनेन्द्रगढ़ से कोरिया जिला मुख्यालय में स्थानांतरित नहीं हो पाए हैं.

पहले से ही प्रशासनिक असंतुलन की स्थिति बनी हुई है और यदि ई एंड एम विभाग का कार्यालय भी जिले से बाहर चला गया तो यह कोरिया के लिए एक और बड़ा नुकसान साबित हो सकता है. स्थानीय स्तर पर यह सवाल उठने लगे हैं कि विकास कार्यों की आड़ में विभागीय कार्यालयों को हटाने से पहले उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई.

प्रशासन की इस अनदेखी से न केवल विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि जिले की प्रशासनिक संरचना पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका गहराती जा रही है.

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