
देश के अलग-अलग इलाकों में बारिश का दौर जारी है...जिसकी वजह से पुल वैगरह के टूटने की तस्वीरें आप खूब देखते होंगे लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर के नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा में बुधवार को जो पुल बहा है उसका मामला कुछ अलग है. उसने 12 से ज्यादा गावों को टापू में तब्दील कर दिया है. अहम ये भी है कि बांस और बल्लियों के सहारे बना ये पुल तीन दशकों सालों से खड़ा था और हमारे सिस्टम और नेताओं की पोल खोल रहा था. ग्रामीण हर साल पत्थर लगाकर और नई बल्लियां या बांस लगाकर इस पुल की मरम्मत कर देते थे.

पुल बहने के बाद 12 से अधिक गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. नाले में पानी बढ़ने से ये गांव अब टापू बन गए हैं.
दरअसल ये मामला है कांकेर के कोयलीबेड़ा इलाके का. यहां के पंखाजूर नामक जगह पर ग्रामीणों ने श्रमदान करके 25-30 साल पहले बांस और बल्लियों के सहारे अंजाड़ी नाले पर एक पुल बनाया था. इसके बाद से हर साल गांव वाले खुद ही श्रमदान करके इस पुल की मरम्मत करते रहे हैं. इसी पुल के सहारे आसपास के 12 से अधिक गांव के लोग आते-जाते थे. बच्चों के स्कूल जाने से लेकर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने तक का काम इसी पुल से होता था. लेकिन इस बार नाले में पानी काफी बढ़ गया और पुल इस दबाव को नहीं झेल पाया.
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राजेश नरेटी
पुल के बह जाने से ग्रामीण बेहद चिंतित हैं क्योंकि ब्लॉक मुख्यालय से दर्जन भर से अधिक गांव पूरी तरह से कट गए हैं. इस इलाके में अंजाड़ी, माचपल्ली, पीव्ही62, पीव्ही 94 जैसे बहुत से गांव है. अब राशन लाने से लेकर हर जरूरी काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. परेशानी ये है कि न तो प्रशासन और न ही नेताओं ने इन ग्रामीणों की सुध ली है.