
लोकायुक्त ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए, GDA) के दो मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया हैं. यह मामला एक समिति को करोड़ों की कीमत के प्लॉट आवंटन से जुडा है. यह कार्रवाई आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश सिंह कुशवाह द्वारा भेजी गई शिकायत के बाद की गई. जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, उनमें एक वर्तमान सीईओ नरोत्तम भार्गव और पुराने सीईओ प्रदीप शर्मा शामिल हैं.
लोकायुक्त (Lokayukta) को दी गई शिकायत में बताया गया कि ग्वालियर विकास प्राधिकरण (Gwalior Development Authority) की शताब्दीपुरम योजना फेस-4 में भूखंडों का विकास किया गया था. इसके लिए शासन और रेरा (RERA) विभाग से अनुमति लेना जरूरी था, लेकिन जरूरी दस्तावेज़ और अनुमति नहीं होने के बावजूद, प्लॉट आवंटन कर दिए गए.
शिकायत के अनुसार, पूर्व सीईओ प्रदीप शर्मा के समय प्लॉट आवंटन पर रेरा विभाग ने आपत्ति जताई थी और इसकी बिक्री पर रोक लगाने के लिए पत्र भी जारी किया गया था. इसके बावजूद वर्तमान सीईओ नरोत्तम भार्गव ने 1 जनवरी 2025 को नियमों को दरकिनार करते हुए श्रीराम रियल इन्फ्रा समिति को प्लॉट आवंटित कर दिए.
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस आवंटन से शासन और प्राधिकरण को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज और रेरा विभाग द्वारा भेजे गए पत्र भी सबूत के तौर पर लोकायुक्त को सौंपे गए हैं. लोकायुक्त ने इस शिकायत को गंभीर मानते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
ये भी पढ़ें- कलेक्टर ने कान पकड़वाकर कर्मचारियों को दी सजा, मामला बना सियासी मुद्दा; कांग्रेस ने कहा तालिबानी रवैया