Negligence in CG: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले के विकासखण्ड खड़गवां में 13 करोड़ से शुरू हुई सिंचाई परियोजना (Irrigation Project) की लागत राशि बढ़कर करीब 35 करोड़ पहुंच चुकी है... लेकिन, चिरमिरी जलाशय (Chirmiri Reservoir) का निर्माण वन विभाग (Forest Department) की अनुमति के इंतजार में 11 साल से अबतक अटका हुआ है... रिवाइज्ड एस्टीमेट के इंतजार में हर साल लागत राशि बढ़ जाती है. तीन साल पहले जलाशय को पूरा करने के लिए 30 करोड़ 26 लाख 92 हजार का रिवाइज्ड एस्टीमेट मंत्रालय को भेजा गया था, लेकिन वन विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिलने से राशि पर मंजूरी का इंतजार है.
हर साल बढ़ रही है जलाशय निर्माण की लागत
जल संसाधन के अनुसार, फॉरेस्ट में क्लीयरेंस के लिए कई बार आवेदन दिया है. निर्माण कार्य बंद होने के कारण डैम निर्माण की लागत हर साल बढ़ रही हैं. जलाशय में नाला क्लोजर, शूटफॉल और एक्वाडक्ट, नहर निर्माण, नहर निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है. नहर के लिए निकली पाइप लाइन के बेस पर भी दरारें पड़ गई हैं. खरीफ में 490 हेक्टेयर और रबी फसल में 210 हेक्टेयर जमीन में होगी. सिंचाई दुबछोला में चिरमिरी डैम के नाम से निर्माण होने से करीब 700 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की तैयारी थी. भाजपा शासन में 2013 में इस डैम के निर्माण की मंजूरी मिली थी. अब दोबारा से प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो किसानों की उम्मीद भी बढ़ी है.
2013 में मिली थी जलाशय निर्माण की मंजूरी
रबी फसल न के बराबर किसान लेते हैं. किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने ही राज्य सरकार से वर्ष 2013 में ग्राम दुबछोला में चिरमिरी जलाशय निर्माण कराने प्रशासकीय मंजूरी मिली थी. इसकी लागत 1377.81 लाख राशि थी, लेकिन जल संसाधन विभाग ने वन विभाग से क्लीयरेंस लिए बिना ही टेंडर प्रक्रिया करने के बाद ठेकेदार के माध्यम से निर्माण शुरू कर दिया था. वहीं, निर्माण पर स्वीकृति से अधिक 17 करोड़ 13 लाख 54 हजार खर्च कर दिया है. मामले में वन विभाग से अनुमति नहीं लेने के कारण निर्माण पर रोक लगी है, जिससे जल संसाधन ने जलाशय को अधूरा छोड़ दिया है.
वन विभाग से क्लीयरेंस का इंतजार
जल संसाधन विभाग के ईई भगत सिंह ने बताया कि चिरमिरी जलाशय के निर्माण के लिए वन विभाग से क्लीयरेंस के लिए प्रक्रिया फिर से पूरी की गई है और रिवाइज्ड इस्टीमेट भी तैयार कराकर मंत्रालय को भेजने की तैयारी की जा रही है. प्रक्रिया लगातार की जा रही है. उम्मीद है कि अब फारेस्ट से क्लीयरेंस मिल जाएगी.
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