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This Article is From Mar 07, 2024

Chhattisgarh : पौधा लगाने के नाम पर अफसरों ने किया भ्रष्टाचार, अब चुकाना होगा इतने लाख का जुर्माना

Chhattisgarh: मनेंद्रगढ़ को लगभग 10 लाख, बिहारपुर, केल्हारी ,जनकपुर ,कुंवारपुर, बहरासी के लिए करीब 10 लाख स्वीकृत की गई थी. इसमें वन विभाग के रजिस्टर में बेलबहरा/ उदलकछार के निवासियों को पौधा बांटने की बात पता चली.

Chhattisgarh : पौधा लगाने के नाम पर अफसरों ने किया भ्रष्टाचार, अब चुकाना होगा इतने लाख का जुर्माना

Corruption happened planting: छत्तीसगढ़ के महेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर (MCB) जिले में 'तुहर पौधा तुहर'  द्वार योजना के तहत किए जाने वाले पौधरोपण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. यहां मनरेगा में होने वाले पौधरोपण, राई जोन और रूट शूट की खरीदी में वन विभाग के अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. मामले में जिले के मनरेगा लोकपाल के फैसले के बाद अब दोषी पाए गए अधिकारियों से 20 लाख रुपए वसूलने के आदेश दिए गए हैं. 

ये है पूरा मामला

दरअसल, पौधारोपण का यह मामला करीब एक साल पुराना है. MCB जिले के अलग-अलग वन परिक्षेत्र में 'तुहर पौधा तुहर' द्वार योजना के तहत मनरेगा से वन विभाग के द्वारा पौधारोपण किया जाना था. लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने योजना के तहत राई जोन और रूट शूट की खरीदी और हरियाली प्रसार योजना में पौधों के वितरण में भारी भ्रष्टाचार किया गया था. इसके बाद बैकुंठपुर निवासी चंद्रकांत पारगीर ने 18 अप्रैल 2023 को योजना में हुई गड़बड़ी की शिकायत मनरेगा लोकपाल मलखान सिंह से की थी. योजना में गड़बड़ी की शिकायत के बाद लोकपाल ने मामले में जांच कर दोषी अधिकारियों पर जुर्माने के साथ योजना की क्षतिपूर्ति राशि वसूलने का फैसला दिया है.

लोकपाल ने पूछे तीन सवाल

शिकायतकर्ता से शिकायत मिलने के बाद लोकपाल ने मामले में जांच शुरू की. जांच के दौरान तीन मुख्य सवालों को आधार बनाया गया. जिनमें पहला सवाल था, क्या अनावेदकों के द्वारा मनरेगा योजना के तहत राई जोन, रूट शूट और अन्य पौधों की खरीदी, उन्हें तैयार करने और वितरण में गड़बड़ी की गई. दूसरा क्या ऐसा करके अनावेदकों के द्वारा गंभीर लापरवाही की गई है? तीसरा वांछित क्षतिपूर्ति कैसे की जाएगी? तीन सवालों को आधार बनाकर लोकपाल के जांच में कई तथ्य सामने आए. 

जिन्हें पौधे बांटे वह नाम ही फर्जी निकले

जांच के दौरान योजना में पौधारोपण की राशि का बंदरबांट होने का तब पता चला, जब वन विभाग के द्वारा पौधा मिलने वाले लाभार्थियों के नाम ही फर्जी निकले. नाम फर्जी निकलने के साथ ही जिन बिल और दस्तावेजों को वन विभाग के द्वारा जवाब के साथ दिया गया था, वह भी बनावटी निकले. जांच के शुरुआती दौर में योजना के लिए प्रशासकीय स्वीकृत राशि का पता लगाया गया, तो महेंद्रगढ़ को लगभग 10 लाख, बिहारपुर, केल्हारी, जनकपुर, कुंवारपुर, बहरासी के लिए करीब 10 लाख स्वीकृत की गई थी. इसमें वन विभाग के रजिस्टर में बेलबहरा/ उदलकछार के निवासियों को पौधा बांटने पता चला. इन लाभार्थियों में बालकुमार, सत्यनारायण, रामदास, अशोक जैसे नाम सामने आए. जब मामले की जांच हुई, तो पता चला कि यह सब नाम ही फर्जी हैं. गांव में इस नाम का कोई निवासी नहीं है. यही हाल नागपुर केल्हारी बहरासी सहित अन्य जगह पर भी देखने को मिला. 

इन अफसरों पर लगा अर्थदंड

साक्ष्य सामने आने के बाद अब तत्कालीन उप वन मंडल अधिकारी मनेन्द्रगढ़, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी महेंद्रगढ़, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी केल्हारी और तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी बहरासी पर ₹1000 का अर्थदंड लगाया है. इसके साथ ही वन विभाग के अधिकारियों से 20 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राज्य रोजगार गारंटी कोष में जमा करने का आदेश दिया है.

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कार्रवाई से बच गए दो रेंजर

मनरेगा लोकपाल ने चार पन्नों की जांच रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी है. बता दें कि शिकायत के समय कुल मिलाकर 6 लोगों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी. जिनमें तत्कालीन उप वन मंडल अधिकारी मनेंद्रगढ़, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी महेंद्रगढ़, तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी केल्हारी और तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी बहरासी तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी कुवारपुर तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी जनकपुर शामिल थे. लेकिन जांच के दौरान मनरेगा लोकपाल ने बताया कि कुंवारपुर और जनकपुर में पौधारोपण किया गया है. इस कारण यह आंशिक रूप से ही लिप्त है. मनरेगा लोकपाल की जांच रिपोर्ट में केवल चार अधिकारियों पर ही कार्रवाई की गई है. कुंवरपुर और जनकपुर के रेंजर कार्यवाही की तलवार से बच गए.

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