
Chhattisgarh News: शरीर में गोली के 7 छर्रे और दिल में न्याय ना मिलने का दर्द लेकर घूम रहे शिव ठाकुर को अब न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है क्योंकि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हुए झीरम (Jheeram) नक्सली हमले में जांच का रास्ता अब साफ हो गया है. शिव ठाकुर जैसे कई लोग हैं जिन्हें इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद है.
शरीर में मौजूद गोली के छर्रे
एनडीटीवी से बात करते हुए पीड़ित शिव ठाकुर का कहना है कि झीरम में हुई इस घटना का मंजर उनकी आंखों में आज भी कैद है. शिव ठाकुर का कहना है कि उन्हें गोली के 7 छर्रें लगे थे जो अभी भी उनके कंधे में धंसे हुए हैं. उन्हें इसकी वजह से एयरपोर्ट पर रोक लिया जाता है और उनसे पूछताछ की जाती है जिसके बाद उन्हें पूरी घटना के बारे में बताना पड़ता है और अपने कंधे में घुसे हुए गोली के छर्रों के बारे में समझाना पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया न्याय का रास्ता
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी नरसंहार (Jheeram Ghati Massacre) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे षड्यंत्र की जांच और एफआईआर दर्ज करने की अनुमति छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) को दे दी है.
चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए (NIA) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि इस मामले में जांच का अधिकार सिर्फ उनके पास है. इसके बाद इस घटना के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
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मारे गए थे कई दिग्गज नेता
दरअसल, 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के तत्कालीन दिग्गज कांग्रेस नेता बस्तर में परिवर्तन रैली करके लौट रहे थे. तभी सुकमा जिले के झीरम घाटी के पास उनके काफिले पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था. इस बड़े नरसंहार में बस्तर के दिग्गज कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत कई नेताओं व जवानों सहित कुल 23 लोगों की मौत हो गई थी.