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This Article is From Jan 19, 2024

Chhattisgarh News: गोबर स्टिक बनाने की मशीन बंद, SLRM सेंटर में 3 सालों से नहीं हुआ कोई काम

बैकुंठपुर में नगर पालिका ने 3 साल पहले SLRM (Solid and Liquid Resource Management) सेंटर में गोबर स्टिक बनाने के लिए मशीन लगवाई थी. इसका मकसद लकड़ी के इस्तेमाल को काम करवाना था. दरअसल, लड़की के इस्तेमाल से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता हैं... लेकिन नए विकल्प के आने के बाद भी यह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है.

Chhattisgarh News: गोबर स्टिक बनाने की मशीन बंद, SLRM सेंटर में 3 सालों से नहीं हुआ कोई काम
गोबर स्टिक बनाने की मशीन बंद, SLRM सेंटर में 3 सालों से नहीं हुआ कोई काम

बैकुंठपुर में नगर पालिका ने गोबर स्टिक बनाने के लिए 3 साल पहले SLRM (Solid and Liquid Resource Management) सेंटर में मशीन लगाया था, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. प्लास्टिक वेस्ट कंप्रेसर मशीन भी बंद पड़ी है. दरअसल, तलवापारा में गेज नदी के किनारे शहरी गोठान और SLRM सेंटर एक ही परिसर में चल रहे हैं. SLRM सेंटर में मवेशियों को रखे जाने से गोबर स्टिक बनना बंद हो गया है क्योंकि परिसर में स्टिकसूखने  के लिए जगह नहीं है. ऐसे में शहर में इसके खरीदार ना के बराबर हैं. जिले के ग्रामीण इलाकों में ईंधन के रूप में गोबर के कंडो से ज़्यादा लकड़ी का इस्तेमाल हो रहा है. शहर में संचालित होटलों में भट्‌ठे के लिए लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है. मशीन लगाते वक्त नगर पालिका ने गोबर स्टिक के फायदे गिनाए थे लेकिन अब अधिकारी इसे शुरू करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. जबकि शहरी इलाकों के होटल, ढाबों में कोयला न जले इसकी जिम्मेदारी भी नगरीय निकायों को सौंपी गई थी पर अधिकारी ढाबों में जलने वाले चोरी के कोयले पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं.

सख्ती से करना होगा लागू नहीं तो बेकार हो जाएगा विकल्प

गोबर स्टिक का मुख्य उद्देश्य लकड़ी खपत कम करना था जिससे पर्यावरण काे कम नुकसान पहुंचे. वहीं, गोबर स्टिक लकड़ी की तुलना में सस्ते भी हैं. इसे लेकर कंपोस्ट सेंटर के कर्मचारियों का कहना है कि मवेशियों की वजह से गोबर स्टिक नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि गोठान में मवेशी खुले रहते हैं. गोबर स्टिक को सूखाने के लिए धूप में रखना पड़ता है जिसे मवेशी बर्बाद कर देते हैं. यदि ईंधन के रूप में लकड़ी के बजाए गोबर स्टिक तैयार हो रहा है तो लकड़ी के उपयोग पर सख्ती से पाबंदी लगाई जानी चाहिए. तभी लोग गोबर स्टिक का उपयोग करेंगे. गोबर स्टिक से धुआं कम होगा और लोगों का खर्च बचेगा. सबसे बड़ी बात इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और पेड़ों की कटाई कम होगी. यदि इस पर सख्ती नहीं बरती गई तो यह बेहतर विकल्प बेकार हो जाएगा.

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प्लास्टिक वेस्ट कंप्रेसर मशीन भी पड़ी हुई है बंद

प्लास्टिक कचरे को कम्प्रेस कर इसका बंडल बनाने के लिए सेंटर में रखी मशीन इस्तेमाल नहीं होने से कबाड़ हो रही है. प्लास्टिक कचरे के ढेर को कर्मचारियों ने बिना कम्प्रेस किये शेड में ढेर लगा दिया है. ऐसे में गोठान के मवेशी प्लास्टिक कचरा खाकर बीमार हो सकते हैं. प्लास्टिक कचरा खाने से मवेशियों में गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है. ऐसे में सवाल है कि नपा गोठान को अलग क्यों नहीं शिफ्ट करती है. शहर में जिस स्थान पर गोबर स्टिक बनाया जा रहा था, वहां से मुक्तिधाम की दूरी महज 6 किमी है, लेकिन शवदाह के लिए भी गोबर स्टिक नहीं भिजवाई गई. लकड़ी उपलब्ध होने के कारण किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है. शवदाह मेें भी भारी मात्रा में लकड़ी का उपयोग होता है.

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