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This Article is From Jan 18, 2024

MP में पढ़ाई का बुरा हाल : एक ही कमरे में बैठते हैं पहली से पांचवीं के छात्र, छात्रों से पूछा चिल्ड्रन का मतलब तो बताया- डॉग

प्रथम फाउंडेशन की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट यानी ASER की रिपोर्ट आपको चौंका सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 14 से 18 साल की उम्र वाले एक चौथाई युवा दूसरी कक्षा की किताबों को भी अच्छे तरीके से नहीं पढ़ सकते हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि ये आंकड़ा हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का है. मध्यप्रदेश के हालात तो और भी बुरा होता है.

MP में पढ़ाई का बुरा हाल : एक ही कमरे में बैठते हैं पहली से पांचवीं के छात्र, छात्रों से पूछा चिल्ड्रन का मतलब तो बताया- डॉग

MP school status: प्रथम फाउंडेशन (Pratham foundation)की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट यानी ASER की रिपोर्ट आपको चौंका सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 14 से 18 साल की उम्र वाले एक चौथाई युवा दूसरी कक्षा की किताबों को भी अच्छे तरीके से नहीं पढ़ सकते हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि ये आंकड़ा हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का है. बियॉन्ड बेसिक्स (Beyond Basics) के बैनर तले प्रकाशित इस ASER 2023 रिपोर्ट में देश के 28 जिलों के सरकारी और प्राइवेट शिक्षण संस्थानों (Government and private educational institutions) का सर्वे किया गया है. जिसमें 34,745 छात्र शामिल हैं.

इसमें ग्रामीण इलाकों के 14 से 18 साल की उम्र के छात्रों को केंद्र में रखा गया है.ये सर्वे हर साल आता है. पिछले साल ये देश के 26 जिलों में किया गया था. इसी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए NDTV की टीम ने भोपाल के एक सरकारी स्कूल (Government school in Bhopal) का दौरा किया. वहां जो हालात थे वे आपको परेशानी में डाल सकते हैं...लेकिन आगे बढ़ने से पहले  ASER 2023 रिपोर्ट की खास बातें जान लेते हैं. 

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हमारी टीम ने भोपाल में राजभवन के ठीक पीछे मौजूद रोशनपुरा बस्ती (Roshanpura Basti) में एक सरकारी स्कूल का जायजा लिया. यहां पहले से पांचवीं तक के बच्चे एक ही  क्लास में पढते मिले. खास बात ये है कि हमारी टीम ने तीसरे साल यहां का दौरा किया है. यहां शिक्षक जो बोल रहे हैं उसे बच्चों को तो छोड़िए हमें भी नहीं समझ में आ रहा था क्योंकि सभी क्लास के बच्चे एक ही साथ बैठे थे.इसके बाद जब हमने बच्चों से बातचीत की पता चला की हालात और भी खराब हैं. मसलन- यहां चौथी के बच्चों को 7 और 8 का पहाड़ा तक नहीं आता. उनसे जब अंग्रेजी में चिल्ड्रन का मतलब पूछा गया तो बताया- डॉग. उन्हें अंग्रेजी में हफ्तों के नाम पूरी तरह से नहीं पता. वे अंग्रेजी में अपना मामूली परिचय भी नहीं दे पाते.

स्कूल में न तो कोई खेल का मैदान है, न ही मध्यान भोजन का कोई ठिकाना है. इतनी परेशानियों के बावजूद शिक्षकों को कोई शिकायत नहीं है. वे आते हैं और पढ़ाते हैं. स्कूल की प्रभारी डॉ वर्षा चौबे के मुताबिक एक हॉल में 5 क्लास है तो समस्या तो होगी लेकिन हमारे शिक्षक मेहनत करते हैं. वे अभ्यस्त हो गए हैं.


  
उधर जब इस मसले पर हमने राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग के मंत्री राव उदय प्रताप (Rao Uday Pratap)से बात की तो उनका जवाब आया- हम लगातार बैठकें कर रहे हैं.हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हालात बेहतर हो. 

माननीय मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में एजुकेशन हमारी हाईटेस्ट प्रायोरिटी है. जो जिस विभाग की ज़िम्मेदारी दी गई है ,उसमें हम सबको सर्वश्रेष्ठ करके दिखाना है और हम इसमें सफल होंगे.

राव उदय प्रताप

मंत्री, स्कूली शिक्षा विभाग

मंत्री जी का पक्ष है कि वे लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन हम लगातार एक ही स्कूल में तीन साल से जाकर देख रहे हैं कि हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है.आंकड़े मध्यप्रदेश में शिक्षा के हालात को बताने के लिए काफी है. मसलन राज्य के 2357 स्कूल शिक्षक विहीन हैं. राज्य में 8307 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. सवाल ये है कि क्या मंत्री जी की बैठकों का असर इन आंकड़ों पर दिखेगा? 

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