Kanker Encounter : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अक्सर सुरक्षाबलों और नक्सलियों (Chhattisgarh Naxal Encounter) के बीच मुठभेड़ की खबर सामने आती रहती है... लेकिन बीते दिन यानी कि 16 अप्रैल मंगलवार को कांकेर (Kanker) में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जो मुठभेड़ (Encounter of Naxalites) हुई उसमें 29 नक्सली मारे गए. छत्तीसगढ़ में हुई इस घटना को अब तक की सबसे बड़ी सफलता बताया जा रहा है. इस मुठभेड़ में एक नक्सली कमांडर भी मारा गया जिसपर 25 लाख रुपये का इनाम था. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ में नक्सलियों को मार गिराया और मुठभेड़ से एक दिन पहले क्या कुछ हुआ था... ?
नक्सली हमारे टारगेट पर थे - DIG, BSF
BSF और DRG की टीम छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सक्रीय थी. इस दौरान टीम जिले के हापाटोला के घने जंगलों में गश्त करने पहुंचीं. ये एनकाउंटर किसी सर्जिकल स्ट्राइक की तरह किया गया. इस पूरे एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया. बता दें कि ये अभियान 15 घंटों तक चला था. जिसमें शीर्ष कमांडर शंकर राव (Shankar Rao) समेत कुल 29 नक्सली मारे गए. वहीं, इस मुठभेड़ में सुरक्षाबल के 2 BSF के जवान समेत एक DRG का जवान घायल हो गया. इस पूरे एंटी नक्सल ऑपरेशन की जानकारी देते हुए BSF के Sub Inspector रमेश चंद्र चौधरी ने NDTV से बात की. रमेश चौधरी ने बताया कि माओवादियों की तरफ से सुरक्षाबलों पर फायरिंग की गई थी. इस घटना में रमेश भी गोली लगने से घायल हो गए. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने घायल होने के बाद भी अपने जवानों को निर्देशित किया.
जानिए इस सबसे बड़े ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी
बकौल BSF Sub Inspector रमेश चंद्र चौधरी, BSF और DRG की टीम 15 अप्रैल की रात सर्च अभियान के लिए निकले थे. इसमें अलग-अलग चौकियों कई टीमें आई. सभी ने अगले दिन तक घेराबंदी भी कर दी थी. दरअसल, BSF टीम को कहीं से गुप्त जानकारी मिली थी कि कई सारे नक्सली हापाटोला के घने जंगलों में मौजूद हैं. ऐसे में टीम जब पहुंचीं तो उन्हें दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आया... लेकिन वहां पर खाना बनाने के बर्तन मौजूद थे. करीब 35 नक्सली पहाड़ी पर छिपे हुए थे. रमेश ने आगे बताया कि नक्सलियों के पास अत्याधुनिक हथियार समेतलाइट मशीन गन, इंसास जैसी राइफलें मौजूद थी. ये मुठभेड़ बेहद कठिन थी. जहां अमूमन 1 दुश्मन के खिलाफ 10 सैनिक खड़े किए जाते हैं. लेकिन हमने आगे बढ़ते हुए पहाड़ पर चढ़ने की तैयारी शुरू की... और उन्हें घेर लिया. BSF और DRG की टीम ने जब नक्सलियों को घेरा तो नक्सलियों ने भागने के दौरान टीम पर फायरिंग कर दी. इसके बाद सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर फायरिंग की जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई.
जमीन पर लेट कर फायरिंग कर रहे थे नक्सली
रमेश चंद्र चौधरी ने आगे बताया कि मुठभेड़ के दौरान उन्होंने पेड़ के पीछे छिपते हुए मोर्चा लिया. तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों की तरफ से की गई जवाबी फायरिंग में एक गोली LMG से चली जो सीधे मेरे पांव में लगी. घायल होने के बाद भी मुझे सब कुछ दिखाई और सुनाई दे रहा था. जवानों ने मुझे बताया कि नक्सली जमीन पर लेटकर हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. दरअसल, ये बेहद खतरनाक तरीका है जिसे माओवादी अपनाते हैं. इस एनकाउंटर में DRG के एक जवान भी ज़ख़्मी हो गए. घायल DRG जवान का नाम सूर्यकांत श्रीमाली हैं.
सिर्फ फल खाकर डटे रहें सुरक्षाबलों के जवान
रमेश ने बताया कि हमें पहाड़ पर 25 माओवादियों के मौजूद होने की खबर मिली थी. इसी कड़ी में हम नदी की धारा पार करते हुए पहाड़ी पर चढ़े. लेकिन वे सब छुपे हुए थे. इसके बाद हमने अगले दिन सुबह उठ कर फल खाया और फिर आगे के अभियान के लिए निकल पड़े.
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