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This Article is From Oct 09, 2023

बघेल की लोकप्रियता, पार्टी की अंदरूनी कलह... छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ताकत और कमजोरियां क्या?

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित अधूरे वादे विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों के क्रोध का कारण बन सकते हैं. 'मोदी फैक्टर' जो भाजपा को प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर बढ़त दिलाता है.

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बघेल की लोकप्रियता, पार्टी की अंदरूनी कलह... छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ताकत और कमजोरियां क्या?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की चुनौतियां क्या हैं?

Chhattisgarh Election News : छत्तीसगढ़ में 2003 से 2018 के बीच 15 वर्षों तक शासन करने वाली भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के कारण कांग्रेस ने 2018 विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के पास वर्तमान में 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 71 सीटें हैं. पार्टी ने आगामी चुनावों में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की किसान समर्थक, आदिवासी समर्थक और गरीब समर्थक योजनाओं के दम पर 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. सत्ताधारी दल मुख्यमंत्री बघेल की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश में है क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और ग्रामीण मतदाताओं पर उनकी अच्छी खासी पकड़ है. छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस की ताकत, कमजोरियां, अवसर और चुनौतियों को लेकर एक विश्लेषण :

कांग्रेस की ताकत

राजीव गांधी किसान न्याय और गोधन न्याय योजना सहित कई कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन, किसानों और ग्रामीण आबादी के लिए योजनाएं, बेरोजगारी भत्ता के अलावा समर्थन मूल्य पर बाजरा तथा विभिन्न वन उपज की खरीद कांग्रेस के पक्ष में मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है. मुख्यमंत्री बघेल ने स्थानीय लोगों में अपनी लोकप्रियता बढ़ाते हुए अपनी छवि 'माटी पुत्र' के रूप में विकसित की है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और ग्रामीण मतदाताओं पर उनकी अच्छी खासी पकड़ है.

पिछले पांच वर्षों में पार्टी ने बूथ स्तर तक अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया है. राजीव युवा मितान क्लब योजना से जुड़े करीब तीन लाख युवा, मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में पार्टी की मदद कर सकते हैं. इस योजना का उद्देश्य राज्य के युवाओं को रचनात्मक कार्यों से जोड़ना, नेतृत्व कौशल विकसित करना और उन्हें उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना है. कांग्रेस ने 2018 के बाद छत्तीसगढ़ में पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की और राज्य में अपनी मजबूती स्थिति का अहसास कराया.

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कांग्रेस की कमजोरियां

कांग्रेस की राज्य इकाई में गुटबाजी और अंदरुनी कलह है. पिछले पांच वर्षों में, पार्टी में मुख्यमंत्री बघेल के धुर विरोधी टी.एस. सिंहदेव ने कई बार विद्रोह का झंडा उठाया है. आखिरकार पार्टी को इस साल की शुरुआत में उन्हें उपमुख्यमंत्री नियुक्त करके संतुष्ट करना पड़ा.

वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के भी बघेल के साथ अच्छे संबंध नहीं थे. हालांकि, कुछ महीने पहले ही उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. इन सबके बावजूद पार्टी में अंदरूनी कलह अभी भी बरकरार बताई जाती है. 

बघेल सरकार राज्य में कोयला परिवहन, शराब बिक्री, जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) कोष के उपयोग और लोक सेवा आयोग भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है. वर्तमान शासन के दौरान राज्य में धर्मांतरण, सांप्रदायिक हिंसा और झड़पों की कुछ घटनाएं हुईं, जिससे विपक्षी दल भाजपा को कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाने का मौका मिला.

कांग्रेस के पास अवसर

पिछले लगभग पांच वर्षों में भाजपा कांग्रेस पर प्रभावी हमला करने में विफल रही है. भाजपा में नेतृत्व का मुद्दा लगातार बना हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को तीन बार बदला है और पिछले वर्ष विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष को भी बदल दिया है.

भाजपा ने रमन सिंह को भी लगभग दरकिनार कर दिया है, जो 2013 से 2018 के बीच मुख्यमंत्री रहे. इनके कार्यकाल में सरकार पर नागरिक आपूर्ति घोटाले और चिट फंड घोटाले का आरोप लगा. राज्य में कांग्रेस लगातार भाजपा पर निशाना साध रही है और दावा कर रही है कि उसके केंद्रीय नेतृत्व को राज्य में पार्टी के अग्रिम पंक्ति के नेताओं पर भरोसा नहीं है.

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कांग्रेस के खिलाफ जा सकते हैं कुछ मुद्दे

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित अधूरे वादे विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों के क्रोध का कारण बन सकते हैं. 'मोदी फैक्टर' जो भाजपा को प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर बढ़त दिलाता है. आम आदमी पार्टी (आप) और सर्व आदिवासी समाज (आदिवासी संगठनों का एक समूह) के चुनाव में ताल ठोंकने से कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लग सकती है. वर्ष 2018 में चुने गए 68 कांग्रेस विधायकों में से कुल 35 पहली बार चुने गए थे और उनमें से अधिकांश अब अपने प्रदर्शन को लेकर जनता के विरोध का सामना कर रहे हैं.

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