Chattisgarh News in Hindi : दंतेवाड़ा जिले में चलाए जा रहे लोन वर्राटू (घर वापस आईये) अभियान के तहत बड़ी सफलता मिली है. 2 इनामी माओवादियों सहित कुल 3 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2-2 लाख रुपये के इनामी थे और दरभा डिवीजन के मलांगेर एरिया कमेटी में सक्रिय थे. आत्मसमर्पण करने वालों में पहला नंदू माड़वी है जो पिछले 6-7 सालों से माओवादी संगठन के प्लाटून नंबर 24 में सक्रिय था. इसके अलावा हिड़मा माड़वी भी शामिल हैं.... जो एक साल से प्लाटून नंबर 24 का सदस्य था. हिड़मा माड़वी को DVC सचिव जगदीश का गार्ड भी नियुक्त किया गया था. छत्तीसगढ़ सरकार ने दोनों माओवादियों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम भी जारी किया हुआ था. इसके अलावा तीसरा माओवादी हेमला (29) ने भी पुलिस के आगे सरेंडर किया है.
लोन वर्राटू अभियान की सफलता
मिली जानकारी के मतुआबिक, लोन वर्राटू अभियान के तहत अब तक 204 इनामी माओवादी सहित कुल 880 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं. ये अभियान छत्तीसगढ़ शासन और पुलिस प्रशासन की अहम् रणनीति का हिस्सा है जिसका मकसद माओवादियों को हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करना है.
नक्सल पुनर्वास नीति का लाभ
आत्मसमर्पित माओवादियों को छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति के तहत 25-25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है. इसके साथ ही उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की अन्य पुनर्वास सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी जिससे कि वे सामान्य जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधनों से वंचित न रहें.
गांव-गांव में पुनर्वास नीति का प्रचार
पुलिस प्रशासन ने बताया कि शासन की नक्सल पुनर्वास नीति का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. गांव-गांव में नक्सलवाद के खिलाफ जागरूकता फैलाने के साथ ही पुनर्वास की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसके प्रभाव से शीर्ष माओवादियों से लेकर भटके हुए युवा माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं.
नक्सलियों की विचारधारा से तंग युवा
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि माओवादी संगठन में शामिल हुए युवा अब अमानवीय और आधारहीन विचारधारा, आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण से तंग आ चुके हैं. इन आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने अब समाज की मुख्यधारा में शामिल होने और एक सामान्य जीवन जीने का संकल्प लिया है.
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लोन वर्राटू अभियान और नक्सल पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए यह एक नई शुरुआत है. छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस प्रशासन का प्रयास है कि ज़्यादा से ज़्यादा माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें और प्रदेश के विकास में अपना योगदान दें.
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