Surguja Collectorate Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा में भूमाफियाओं (Land Mafia) पर नकेल कसने के उद्देश्य से सरगुजा कलेक्ट न्यायालय (Surguja Collectorate Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला (Court Important Decision) सुनाया है. फैसला में भूमाफियाओं के कब्जे से शासकीय भूमि (Government Land) को मुक्त करते हुए उक्त भूमि को न्यायालय (Court) निर्माण के लिए आवंटित कर दिया गया है. कलेक्टर न्यायालय (Collectorate Court) की इस फैसले की तारीफ हर कोई कर रहा है. एक महीने पहले अंबिकापुर के पीजी कॉलेज (PG College) के ठीक सामने स्थित करोड़ों रुपए की शासकीय भूमि पर भूमाफियाओं के द्वारा फर्जी तरीके से अपने नाम में कर लिया गया था. इसके बाद उक्त भूमि को प्लाटिंग करके बेचा जा रहा था.
शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने तत्काल दिए जांच के आदेश
जिसकी शिकायत कलेक्टर के पास होने के बाद मामला मीडिया में आ गया. कलेक्टर सरगुजा ने इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिया. इसके बाद लगभग 50 करोड रुपए की इस जमीन के घोटाले में अंबिकापुर नजूल अधिकारी व अपर कलेक्टर सहित दो राजस्व निरीक्षक वह नजूल कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों के विरुद्ध अपराध दर्ज की गई. वहीं इस मामले में पहली बार कलेक्टर न्यायालय ने ऑनलाइन न्यायालय (Online Court) के प्रकरण की सुनवाई करते हुए पक्षकारों को समय पर अपना पक्ष न्यायालय में रखने का आदेश दिया गया. लेकिन समय पर कोई भी जवाब नहीं आने पर कलेक्टर न्यायालय ने इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उक्त भूमि को शासकीय भूमि में दर्ज करते हुए 4.2 2 एकड़ भूमि को जिला न्यायालय (District Court) को पेश कर दिया गया है. उक्त भूमि में अब जिला न्यायालय के कार्यालय सहित अधिकारी कर्मचारी एवं न्यायाधीशों का आवास (Judges' Residence) निर्माण कराया जाएगा.
क्या है मामला?
अंबिकापुर के पीजी कॉलेज नमनाकला मोहल्ले में 4.22 एकड़ शासकीय जमीन बंसू लोहार के नाम पर नामांतरण कराया गया था. उक्त भूमि की कीमत लगभग 50 करोड़ रुपए है. भूमाफिया के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से शासकीय भूमि को फर्जी कागज (Fake Document) के माध्यम से एक व्यक्ति बंसू लोहार के नाम पर दर्ज कराया गया. भूमाफियाओं के इस कार्य में नजूल अधिकारी सहित दो राजस्व निरीक्षक व नजूल विभाग के कुछ कर्मचारियों की भी संलिप्तता थी. जिसकी शिकायत कुछ लोगों ने कलेक्टर सरगुजा से की थी. मामला हाईलाइट होने के बाद तत्काल इसको लेकर कलेक्टर ने जांच का आदेश दे दिए थे. जांच में प्रथम दृष्टया नजूल अधिकारी एवं दो राजस्व निरीक्षक सहित विभाग के दो कर्मचारियों की संहिता साबित होने पर उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया था. वहीं कलेक्टर न्यायालय ने इस मामले में तत्काल सुनवाई करते हुए पक्षकारों को समय से जमीन के कागजात व अपना पक्ष रखना का आदेश दिया था. लेकिन पक्षकारों के द्वारा समय से ना तो कागज प्रस्तुत नहीं किया गया ना ही अपना दावा रखा गया. अंततः कलेक्टर न्यायालय ने उक्त भूमि को शासकीय भूमि में दर्ज कराते हुए जिला न्यायालय को आवंटित कर दिया है.
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