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आपस में ही भिड़े भाजपा नेता, गरियाबंद जिलाध्यक्ष पर पूर्व जिला महामंत्री चमार सिंह पात्र के आरोप से मचा भूचाल

नजरबंद किए जाने के बाद अब चमार सिंह पात्र का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उनका दर्द साफ झलक रहा है. उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर की ओर से पुलिस को कॉल कर खुद को उठाने का आरोप लगाया.

आपस में ही भिड़े भाजपा नेता, गरियाबंद जिलाध्यक्ष पर पूर्व जिला महामंत्री चमार सिंह पात्र के आरोप से मचा भूचाल

Chhattisgarh BJP: गरियाबंद (छत्तीसगढ़) भाजपा के भीतर का घमासान अब सतह पर आ चुका है. पार्टी के मुखर नेता और पूर्व जिला महामंत्री चमार सिंह पात्र ने एक विस्फोटक वीडियो जारी कर अपने ही जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पात्र ने दावा किया है कि उन्हें पुलिस की मदद से उठवाने की कोशिश की गई और थाने में बिठाकर गलत किया गया. यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि वह संगठन की अनियमितताओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना चाहते थे.

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब देवभोग में शुक्रवार को आयोजित आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन की शुरुआत से ठीक पहले चमार सिंह पात्र को नजरबंद कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार, पात्र भाजपा जिला संगठन की हालिया नियुक्तियों से खासे नाराज़ थे और मंच पर इस मुद्दे को मुखरता से उठा सकते थे. पार्टी के बड़े नेता, जिनमें पवन साय और चंदूलाल साहू भी शामिल थे, उनकी मौजूदगी में यह कदम उठाया गया.

सोशल मीडिया पर छलक उठा दर्द

नजरबंद किए जाने के बाद अब चमार सिंह पात्र का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उनका दर्द साफ झलक रहा है. उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर की ओर से पुलिस को कॉल कर खुद को उठाने का आरोप लगाया. इसके बाद उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद मैं बहुत दुखी हूं. मैं अपने क्षेत्र और समाज की समस्या से अवगत कराने के लिए संगठन के बड़े नेताओं से मिलने जा रहा था, लेकिन मुझे थाना में बिठाकर मेरे साथ ग़लत किया गया है.

माली समाज में भारी आक्रोश, संगठन की फजीहत

चमार सिंह पात्र, जो माली समाज के एक बड़े और मुखर नेता के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे में उनके खिलाफ हुई इस कार्रवाई से समाज में गहरा आक्रोश है. समाज के लोगों का कहना है कि एक समर्पित और पुराने कार्यकर्ता को सिर्फ इसलिए नज़रबंद कर दिया गया, क्योंकि वह सच बोलना चाहते थे. लोगों का कहना है कि यह घटना न सिर्फ गरियाबंद भाजपा की आंतरिक कलह को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि क्या संगठन में अब आवाज़ उठाने वाले कार्यकर्ताओं को इसी तरह दबाने का प्रयास किया जाएगा?

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इस पूरे मामले पर भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल चंद्राकर या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. 

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