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Chhattisgarh Hindi News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में एक बैगा परिवार ने अपनी बच्ची के इलाज के लिए पूरी संपत्ति दांव पर लगा दी है. जैसे-जैसे बच्ची बड़ी हो रही है, वैसे-वैसे इसकी बीमारी भी बढ़ रही है, जिसे देखकर माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. परिवार ने बच्ची के इलाज के लिए अपनी पूरी संपत्ति दांव पर लगा दी है. हालात यह है कि खाने के लाले पड़ने लगे हैं. माता-पिता जब इस बच्ची को देखते हैं, तो उनकी आत्मा भी तड़प उठती है.
दाने-दाने के लिए मां-बाप हुए मोहताज
सवाल यह है कि आखिर कब तक शासन-प्रशासन ऐसे गरीब परिवार की अनदेखा करता रहेगा. करोड़ों अरबों रुपये के विकास कार्यों का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि उन ग्रामीण क्षेत्रों में शायद ही पहुंच पाते हैं. इस बैगा परिवार का भरण पोषण कैसे होता है और ये कैसी जिंदगी जीते हैं. इससे किसी को कोई मतलब नहीं है.
अब बच्ची का इलाज कैसे कराएं?
बच्ची की मां गणेशिया ने कहा कि मैं जनकपुर हॉस्पिटल से लेकर राजधानी के एम्स हॉस्पिटल तक अपनी बच्ची को लेकर गई, लेकिन वहां भी यह कह दिया गया कि अभी बच्ची कमजोर है. इसे खिलाओ-पिलाओ. इसकी देखरेख करो, लेकिन मेरे पास खुद के खाने के पैसे नहीं हैं. रोज कमाने और रोज-खाने में अपनी इस नन्ही बच्ची का इलाज कैसे कराएं. गांव वाले ने मेरी मदद की. मुझे आपस में सहयोग कर रायपुर तक बच्चों के इलाज के लिए भेजा, लेकिन आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि सामने नहीं आया.
कोई सुनने वाला नहीं है
बच्ची के पिता सुखराम ने बताया कि मैं अपनी बच्ची के लिए अपने मवेशी और जमीन तक को दांव पर लगा दिया हूं. लेकिन अब तक मेरी बच्ची का इलाज नहीं हो पाया. जनप्रतिनिधि के दरवाजे भी खटखटा चुका हूं. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. कोई देखने वाला नहीं है.आज जिस हालात में मेरी बच्ची है, उसे देख देखकर आत्मा भी रोने लगती है. क्या करूं किसके पास जाऊं? कौन मदद करेगा समझ नहीं आ रहा है.
ये है बीमारी: बच्ची के सिर में है काफी सूजन
गांव के सरपंच राजेंद्र सिंह का कहना है कि मेरे पास बैगा परिवार अपनी बच्ची की समस्या लेकर आया था. उसके जन्म से ही सिर में सूजन है. इसके इलाज के लिए कोई जनप्रतिनिधि अब तक सामने नहीं आया है. जैसे-तैसे यह बच्ची के इलाज के लिए भटक रहे हैं, लेकिन आज तक इसका इलाज नहीं हो पाया है.
रायपुर एम्स अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था
डॉक्टर का कहना है कि बच्ची की बीमारी जन्म से है. बच्ची को लेकर उसके माता-पिता मेरे पास आए थे, जांच कर एक बार हमने इसे रायपुर एम्स अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था. जहां बच्ची का वजन कम होना पाया गया, जिस वजह से उसे एनेस्थीसिया देना उचित नहीं था. इसलिए बच्ची का वजन बढ़ाने के लिए मां-बाप को बोला गया था,बच्ची का वजन बढ़ जाएगा तब ही उसका इलाज हो पाएगा.
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