
Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने माना कि उन्हें जमानत दिए जाने पर वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है. ऐसे में गंभीर अपराध में राहत देना उचित नहीं है. लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था. वे वर्तमान में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. ईडी का आरोप है कि वर्ष 2019 से 2023 तक उनके कार्यकाल के दौरान एफएल-10ए लाइसेंस नीति लागू की गई, जिससे अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा मिला और बड़ा घोटाला सामने आया.
क्या है मामला?
लखमा ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि यह मामला पूरी तरह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है. उन्होंने तर्क दिया कि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और केवल सह-आरोपियों के बयान के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया है. साथ ही उन्होंने यह भी दलील दी कि जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल हो गई है और सह अभियुक्तों—अरुणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनिल टुटेजा और अरविंद सिंह—को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, इसलिए उन्हें भी राहत दी जानी चाहिए. जबकि हालांकि हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि गंभीर अपराध और साक्ष्य प्रभावित करने की संभावना को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती.
वहीं, कवासी लखमा ने इस मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए मीडिया को बताया था कि मैं कानून का सम्मान करने वाला व्यक्ति हूं. ईडी मुझसे इस संबंध में जो भी जानकारी लेगी, मैं उस हर जानकारी मुहैया कराऊंगा. मुझ पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, उसका जवाब मैं ईडी को दूंगा. इसके अलावा, मुझसे जो भी दस्तावेज मांगे गए हैं, उसे मैं उपलब्ध कराऊंगा.
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