![CG News: इस वन परिक्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहा है गोलमाल, बिना नीलामी के खपा दी गईं लाखों रुपये की लकड़ियां CG News: इस वन परिक्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहा है गोलमाल, बिना नीलामी के खपा दी गईं लाखों रुपये की लकड़ियां](https://c.ndtvimg.com/2024-06/eiuumk58_-sarguja-_625x300_30_June_24.jpeg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Chhattisgarh Today News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) जिले के लखनपुर वन परिक्षेत्र में जब्त की गई लकड़ियों को बिना नीलामी के ही बेचने का मामला सामने आया है. जिसका खुलासा होने के बाद वन विभाग (Forest Department) में हड़कंप मच गया है. अधिकारी स्वयं बचाने के लिए इसे अब गैर नियम कार्य बता रहे हैं. दरअसल लखनपुर वन विभाग कार्यालय के काष्ठागार में लाखों रुपये की अलग-अलग मामलों में जब्त लकड़ी रखी गई है.
लगातार लकड़ी का उठाव हो रहा
काष्ठागार लखनपुर ब्लॉक मुख्यालय से दूर होने के कारण यहां से अक्सर लकड़ी चोरी होने की घटनाएं होती थी. लेकिन पिछले एक सप्ताह से वन विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से यहां से वाहनों से लगातार लकड़ी का उठाव हो रहा है.
आरोप: गांव के लोगों को लकड़ियों बेच रहे
जबकि नियम की मानें तो वन विभाग द्वारा पकड़ी गई लकड़ियों की नीलामी कराई जाती है. लेकिन वर्तमान में वन विभाग के ही अधिकारी-कर्मचारी गांव के लोगों को लकड़ियों बेच रहे हैं. इतना ही नहीं एक पिकअप लकड़ी की कीमत महज 45 सौ रुपए निर्धारित की गई है. इधर इस पूरे मामले में अधिकारी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं. बता दें कि सरगुजा अंचल में बड़े पैमाने पर जंगलों की अवैध रूप से कटाई की जा रही है. तस्कर जंगलों से इमारती लकड़ियों की कटाई कर उन्हें दूसरे राज्यों में भी तस्करी कर रहे हैं.
खुलेआम हो रही लकड़ियों की बिक्री
इस बीच समय समय पर वन विभाग (Forest Department) की टीम भी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करती है.वन विभाग द्वारा जब्त की गई लकड़ियों को कार्यालय में जमा करके रखा जाता है. नियम के अनुसार समय-समय पर उनकी नीलामी की जाती है. लेकिन वर्तमान में वन परिक्षेत्र लखनपुर कार्यालय से लकड़ियों की चोरी कर उन्हें बेचा जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारी ही ग्रामीणों को खुलेआम लकड़ियों की बिक्री कर रहे है.
"वन विभाग को 45 सौ रुपए दिया है"
आस-पास के ग्रामीण कार्यालय आकर बिना किसी रोक-टोक के लकड़ियों को पिकअप में भरकर ले जा रहे है. शनिवार को भी समूह की कुछ महिलाएं जलाऊ लकड़ी के नाम पर भारी मात्रा में लकड़ियों को पिकअप में भरकर ले जा रही थी.जब उनसे पूछा गया तो महिलाओं ने बताया कि "वे अक्सर इसी तरह से लकड़ी लेकर जाती हैं और एक पिकअप लकड़ी का उन्होंने वन विभाग को 45 सौ रुपए दिया है."
"नहीं दे रहे कोई रसीद"
ग्रामीण महिलाओं ने खुद को महिला समूह की सदस्य बताया जोकि स्कूलों में भोजन बनाने का कार्य करती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि बिक्री की गई लकड़ियों की कोई नापतौल नहीं की गया है और ना ही उन्हें लकड़ी बिक्री का रसीद मिलती है. महिलाएं अक्सर लकड़ी लेकर जाती है. जाहिर है वन विभाग में लकड़ियों की नीलामी होती है लेकिन वन विभाग के कर्मचारी लकड़ियों को बिना नाप तौल के बेच रहे है और उन्हें रसीद भी नहीं दे रहे है.
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जेब में जमा हो रही राशि
यदि लकड़ी बिक्री की रसीद काटी जाती तो राशि वन विभाग के कोष में जमा होती है. लेकिन रसीद नहीं काटे जाने से राशि कर्मचारियों की जेब में जा रही है. वन परिक्षेत्र अधिकारी मेरी लीला लकड़ा ने बताया कि बिना नापतोल के बिक्री नहीं किया जा सकता अगर ऐसा होता है तो वह नियम विरुद्ध है ऐसा होता है तो मामले की जांच करा कर वहां के प्रभारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
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