
CG Dhan Kharidi In Rabi season: छत्तीसगढ़ में रबी सीजन की धान खरीदी में बड़ा झोल सामने आया है. इस सीजन में धान के सही दाम न मिलने की वजह से किसान नाराज हैं. यदि खरीफ सीजन की बात करें, तो खरीदी केंद्रों के माध्यम से सरकार 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की थी. लेकिन रबी सीजन के लिए कोई रेट निर्धारित नहीं हैं. हालांकि, इस समस्या को लेकर किसान संगठन मांग भी कर चुके हैं. लेकिन अबतक कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है. प्रदेश में इन दिनों धान के किसानों की 80 प्रतिशत फसल पककर तैयार हो चुकी है.

राजनांदगांव में रबी फसल में धान की तेजी से कटाई शुरू हो गई है. मंडी में भरपूर आवक के साथ किसानों को धान का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जो व्यापारी धान खरीदने आ रहे हैं. वह 1700 से 1800 रुपये तक की ही बोली लगा रहे हैं. किसानों को मजबूरी में कम कीमत में धान बेचना पड़ रहा है. धान की आवक अधिक होने से व्यापारी औने-पौने दाम पर उपज खरीद रहे हैं, जिसे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
अलग-अलग क्षेत्र से बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे मंडी
किसान कम कीमत मिलने से परेशान नजर आ रहे हैं. जिले के अलग-अलग क्षेत्र से बड़ी संख्या में किसान प्रतिदिन अपना उपज लेकर कृषि उपज मंडी में पहुंचते हैं.लेकिन कम कीमत मिलने के कारण इस बार उन्हें परेशानियों के सामना करना पड़ रहा है. 18 सौ रुपये तक धान की कीमत में रही है.
1700 से 1800 प्रति क्विंटल के हिसाब से बोली लग रही

कृषि उपज मंडी में धान बेचने पहुंचने वाले किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. मंडी में बोली लगाई जा रही है. लेकिन 1700 से 1800 प्रति क्विंटल के हिसाब से बोली लग रही है. कम दाम मिलने से किसान परेशान हैं. बता दें, प्रतिदिन बड़ी मात्रा में कृषि उपज मंडी में धान लेकर किसान पहुंच रहे हैं. लेकिन कम कीमत उपज की मिलने से उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है.वहीं, धान की क्वालिटी को देखकर बोली लगाई जाती है. क्वालिटी कम होने पर कम कीमत मिलती है, और अच्छी होने पर अधिक कीमत मिलने की उम्मीद अधिक रहती है.
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जानें इस मामले पर क्या बोले BJP के प्रदेश प्रवक्ता
खरीफ सीजन में धान को खरीदने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. इसे खुले मार्केट में बेचने के लिए किसान स्वतंत्रता हैं, जो भी दर तय होता है, वह कृषकों और व्यापारियों के बीच का होता है. बाकी समय में 3100 रुपये में लेने के लिए बाध्य हैं. क्योंकि सरकार उस समय जो धान ली है. वही बिक नहीं पाया है. उसको भी व्यापारियों को बेचा जाता है. क्योंकि वैसे भी गर्मियों के समय में धान की खेती प्रतिबंधित रहती है.