Women Empowerment : महिला सशक्तिकरण- यानी कि महिलाओं को शक्ति देना जिससे वे अपने निजी फ़ैसले खुद ले सकें. अपने आप को सामाजिक और आर्थिक रूप से मज़बूत बना सके. आज के दौर में चाहे शहर की महिला हों या गांव की... महिला किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं हैं. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में भी महिलाओं ने भी मेहनत से जीवन बदलने की मिसाल पेश की है. गुंडरदेही ब्लॉक के छोटे से गांव भिलाई की महिलाएं कभी घर की चार दीवारों तक सीमित थीं. लेकिन बदलते समय के साथ अब ये महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं. इन महिलाओं ने न केवल अपनी जिंदगी को बदला, बल्कि सीमेंट पोल बनाने जैसे छोटे लेकिन अनोखे कारोबार से आर्थिक मजबूती हासिल की है.
बिहान योजना से बदली जिंदगी
महिलाओं ने सबसे पहले जय माँ वैभव लक्ष्मी समूह बनाया. इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार की बिहान योजना का सहारा लिया. इस योजना के तहत महिलाओं ने बैंक से लोन लिया और सीमेंट पोल बनाने का काम शुरू किया. गांव में ही सीमेंट पोल निर्माण से ये महिलाएं अब हर महीने करीब 1 लाख रुपये कमा रही हैं.
कैसे शुरू किया काम ?
महिलाओं ने सीमेंट पोल बनाने की सामग्री खरीदी और गांव में काम शुरू किया. शुरुआत में काम आसान नहीं था, लेकिन इन महिलाओं ने मेहनत और लगन से इसे मुमकिन बनाया. अब उनका समूह सफलतापूर्वक काम कर रहा है और गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गया है.
आर्थिक सशक्तिकरण की ओर कदम
सीमेंट पोल बनाने के काम ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. उनकी आर्थिक स्थिति को भी बेहतर किया है. आज ये महिलाएं अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए अपनी कमाई से बच्चों की पढ़ाई, घर के खर्च और अन्य जरूरतें पूरी कर रही हैं. महिलाएं अब इस काम को और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रही हैं. उद्देश्य है कि वे इस काम में अधिक महिलाओं को जोड़ें. अपने गांव के साथ आसपास के इलाकों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा करें.
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प्रशासन ने की महिलाओं की तारीफ
बालोद जिला पंचायत के CEO ने भी भिलाई गांव की महिलाओं की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि जिले की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव मदद की जा रही है. 1800 से अधिक महिलाएं अब लखपति दीदी बन चुकी हैं. भिलाई की महिलाओं ने सीमेंट पोल बनाने जैसे अनोखे काम में आगे आकर एक नई राह दिखाई है. ये पूरे जिले के लिए गर्व की बात है.