Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में हाल ही में एक अहम मामला उठा. जिसमें निजता के अधिकार के उल्लंघन पर गंभीर बहस छिड़ गई है. भिलाई के खूबचंद बघेल कॉलेज के प्रोफेसर विनोद वर्मा के साथ हुई मारपीट के मामले में आरोपियों की डिजिटल जानकारी की मांग ने कानूनी और नैतिक मुद्दों को जन्म दिया है. याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में तर्क दिया कि पुलिस द्वारा आरोपियों की गूगल आईडी और पासवर्ड की मांग करना, व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन है. जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है.
यह मामला तब चर्चा में आया जब प्रोफेसर वर्मा पर हमला हुआ और पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया. जिनमें कुछ आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े बताए जा रहे हैं. यह प्रकरण राजनीतिक हस्तियों की संलिप्तता के कारण संवेदनशील बन गया है.
इस केस के माध्यम से डिजिटल जानकारी और निजता के अधिकार का मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. सिब्बल ने अपनी दलील में बताया कि गूगल आईडी और पासवर्ड मांगना संवेदनशील जानकारी तक पहुंचने का साधन है, जिससे निजता का उल्लंघन हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है और यह मामला इस अधिकार की सुरक्षा के लिए एक उदाहरण बन सकता है. यह मामला कानूनी और तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम का असर डिजिटल निजता के क्षेत्र में लंबे समय तक रहेगा.
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