Case Against Doctors: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में इलाज के दौरान लापरवाही के मामले में एक मरीज को अपनी जान गवांकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. पूरे मामले में मृतक गोल्डी छाबड़ा (Goldy Chabara) के परिवार ने सरकंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और अब सरकंडा पुलिस (Sarkanda Police) ने गैर इरादतन हत्या के इस मामले में कोर्ट में अपनी चार्जशीट पेश की है. आईपीसी (IPC) की धारा 304 ए के तहत दर्ज मामले में डॉ. राजीव लोचन भांजा, डॉ. सुनील कुमार केडिया, डॉ. देवेंद्र सिंह और डॉक्टर मनोज राय की मुसीबतें बढ़ने लगी हैं. हालांकि, मामला जमानतीय होने के कारण पुलिस ने पहले से ही डॉक्टरों को बॉन्ड पर रिहा कर रखा है.
अपोलो हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुई थी मौत
बिलासपुर के दयालबंद में रहने वाले परमजीत सिंह छाबड़ा के बेटे गोल्डी छाबड़ा की अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही की वजह से मौत हो गई थी. इसके बाद परमजीत ने मामले में पिछले साल अक्टूबर में सरकंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. बेटे की मौत के बाद पिता ने चार डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही और उनके बेटे के मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 ए (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया था. इसके अलावा पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आईपीसी की धारा 201, 34 के तहत मामला दर्ज किया था.
इलाज में लापरवाही के पुलिस को मिले सबूत
गोल्डी छाबड़ा के उपचार के दौरान लापरवाही के मामले में मौत हो जाने के बाद पूरे मामले में पुलिस ने जांच कार्रवाई में यह स्पष्ट किया कि उपचार में लापरवाही की गई थी. इसके साक्ष्य भी पुलिस को मिले हैं. सरकंडा पुलिस के जांच में जहां कई महत्वपूर्ण बिंदुओं का खुलासा हुआ, वहीं इस बात की भी जानकारी मिली कि पूरे मामले में बिलासपुर में स्थित अपोलो अस्पताल प्रबंधन की भी बड़ी लापरवाही है. यहां काम करने वाले डॉक्टर देवेंद्र सिंह के पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका है. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में जांच की बिंदुओं में इस तथ्य को भी रखा.
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जांच में लग गया लंबा समय
उपचार के दौरान गोल्डी छाबड़ा की मौत के मामले को लेकर जहां उनके पिता और भाई ने न्याय की गुहार लगाई है, वहीं इस बात की शिकायत उन्होंने पुलिस और प्रशासन की वरिष्ठ अधिकारियों तक की थी. पूरे मामले में कोर्ट जाने की तैयारी शुरू से की जा रही थी. वहीं, मृतक के भाई प्रिंस छाबड़ा ने बताया कि सरकंडा पुलिस ने इस मामले में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में काफी लंबा समय लगा दिया है. जांच कार्रवाई में लगे अनावश्यक समय को भी पीड़ित परिवार ने खुद के ऊपर हुआ अन्याय बताया.
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