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हल्के में न लें बीड़ी को ! हर साल फूंक रही हैं इतने लाख जिंदगियां, एम्स का दावा

Bidi Smoking Side Effects: हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के के साहू, बताते हैं कि बीड़ी में बहुत ज्यादा निकोटिन होता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जहरीला पदार्थ है. ये नसों को सुखा देती है, जिससे हार्ट की नसे सिकुड़ जाती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

हल्के में न लें बीड़ी को ! हर साल फूंक रही हैं इतने लाख जिंदगियां, एम्स का दावा

Bidi Smoking and Public Health: बीड़ी और सिगरेट (Cigarette) मानव जीवन के लिए बेहद खतरनाक है. इस बात को लगभग हर कोई जानता है, उसके बावजूद लोगों में बीड़ी और सिगरेट की लत लगातार बढ़ती जा रही है. हाल में एम्स जोधपुर (Aiims Jodhpur) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जो बताती कि राज्य में हर दिन औसतन 30 लोगों की मौत हो रही है. हालांकि, पूरे देश में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीड़ी धूम्रपान (Bidi Smoking) से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक पाई गई है.यहां प्रति वर्ष एक लाख से ज्यादा मौतें होती हैं.

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छत्तीसगढ़ में 12.30 लाख लोग बीड़ी पीते हैं, जोकि कुल आबादी का 4.1 प्रतिशत है. बीड़ी पीने से अकेले साल 2023 में छत्तीसगढ़ में 11,011 लोगों की मौत हुई. ये दावा एम्स जोधपुर की रिसर्च रिपोर्ट में किया गया है. डॉक्टरों की मानें, तो बीड़ी पीने से कैंसर, हार्ट अटैक, पैरालिसिस और स्ट्रोक के मामले भी बढ़ रहे हैं.

बीड़ी पीने से बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के के साहू, बताते हैं कि बीड़ी में बहुत ज्यादा निकोटिन होता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जहरीला पदार्थ है. ये नसों को सुखा देती है, जिससे हार्ट की नसे सिकुड़ जाती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. वे बताते हैं कि स्मोकर्स सबसे ज्यादा हार्ट अटैक से मरते हैं. स्मोकिंग से पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज भी होती है, जिससे गैंग्रीन हो जाता है. इसके बाद पैर काटने की नौबत आ जाती है. तीसरा स्ट्रोक आता है, क्योंकि बीड़ी पीने से ब्रेन की नसों में रुकावट आ जाती है. ब्रेन  से जो नस दिमाग में जाती है, उसमें रुकावट आ जाती है, जिससे लकवा होता है. इसके अलावा, बीड़ी पीने से लंग कैंसर भी होता है. दरअसल, निकोटीन के जो तार होते है, वह ब्लड में जाकर लंग्स में पहुंचता है, जो कैंसर का कारक बन जाता है. उन्होंने बताया कि लंग्स कैंसर और हार्ट अटैक से सबसे ज्यादा मौतें होती है. इससे बचने का एक ही तरीका है कि स्मोकिंग को छोड़ दिया जाए. इसके साथ ही ये भी जरूरी है कि तंबाकू पर बैन लगा दिया जाए.

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तम्बाकू रोकथाम प्रोग्राम के कार्यक्रम प्रभारी डॉ कमलेश जैन कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में 5 हजार से ज्यादा शैक्षणिक संस्थान तंबाकू फ्री जोन हैं, प्रशासन का कहना है कि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड के अनुसार काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि तंबाकू के हानिकारक प्रभाव  को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी विभाग के साथ समन्वय करके तंबाकू नियंत्रण की एक स्ट्रैटेजी के साथ काम करते हैं. इसके साथ ही WHO के मापदंडों के आधार पर राज्य सरकार काम करती है. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का दृश्य संकल्प है कि प्रदेश को नशा मुक्त करना है. छत्तीसगढ़ में सही दिशा में प्रयास हो रहे हैं. 

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