
Chhattisgarh Floating Solar Power Plant: छत्तीसगढ़ के भिलाई में प्रदेश का पहला फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट तैयार किया जा रहा है. इससे 15 मेगावॉट की बिजली प्रोड्यूस होगी. यह सोलर पॉवर प्लांट भिलाई स्टील प्लांट के मरोदा टैंक-1 में एनएसपीसीएल की देखरेख में तैयार किया जा रहा है.
फ्लोटिंग सोलर प्लांट परियोजना की खासियत
15 मेगावाट क्षमता वाले इस संयंत्र से सालाना 34.26 मिलियन यूनिट ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा, जिससे बीएसपी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा और कार्बन उत्सर्जन में 28,330 टन की कमी आएगी.
इस परियोजना से कई फायदे हैं. इससे कोयले पर निर्भरता घटेगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. मरोदा-1 के बाद मरोदा-2 जलाशय में 35 मेगावाट की क्षमता वाला दूसरा फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाने की भी योजना है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फ्लोटिंग सौर ऊर्जा संयंत्र जलाशय में पानी के वाष्पीकरण को कम करेगा और इससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. साथ ही पानी की सतह पर तैरने के कारण सौर पैनलों की दक्षता भी बढ़ेगी. एनएसपीसीएल, जो एनटीपीसी और सेल का संयुक्त उपक्रम है, इस परियोजना के तकनीकी मार्गदर्शन की भूमिका निभा रहा है.
कार्बन उत्सर्जन में सालाना 28,330 टन की आएगी कमी
यह पहल स्टील प्लांट के कार्बन फुटप्रिंट को काफी हद तक कम करने में मदद करेगी. दरअसल, इससे बीएसपी के कार्बन उत्सर्जन में सालाना 28,330 टन की कमी आएगी. बता दें कि मरोदा जलाशय का क्षेत्रफल 2.1 वर्ग किलोमीटर है और इसकी जल भंडारण क्षमता 19 घन मिलीमीटर है. वहीं मरोदा-I जलाशय में संग्रहीत जल टाउनशिप को भी जल आपूर्ति करता है.