
Naxalites Destroyed In Baster: पिछले एक साल में नक्सलियों के सफाए के लिए छत्तीसगढ़ में चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन का असर है कि माओवादी संगठनों का नेटवर्क ही नेतृत्व भी तेजी से कमजोर हुआ है. देश से नक्सलियों के सफाए के लिए निर्धारित तारीख में अभी भी 6 माह शेष है, लेकिन अभी से ही नक्सली सगंठन नेतृत्वविहीन हो चला है.
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केंद्रीय समिति के सदस्य राजू दादा और कोसा दादा के मारे जाने से नेतृत्वविहीन हुआ संगठन
गौरतलब है सोमवार को मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के केंद्रीय समिति के दो सदस्य राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कदारी सत्यनारायण रेड्डी की मौत के बाद माओवादी संगठन पूरी तरह से नेतृत्वविहीन हो गया है. दोनों प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय समिति के सदस्य थे और संगठनात्मक और सैन्य गतिविधियों की देखरेख करते थे.
कई हिंसक घटनाओं के ‘मास्टरमाइंड' के हमले में गई थी जवानों और निर्दोषों की जान
अधिकारियों ने बताया कि बीते सोमवार को मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के केंद्रीय समिति के दोनों सदस्य क्रमशः 63 वर्षीय राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और 67 वर्षीय कोसा दादा उर्फ कदारी सत्यनारायण रेड्डी अनेक हिंसक घटनाओं के ‘मास्टरमाइंड' रहे हैं, जिनमें कई जवान शहीद हुए और निर्दोष नागरिकों की जानें गईं.
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माओवादी सशस्त्र समूहों और नक्सलियों के तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा भारी नुकसान
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने बताया कि सुरक्षा बल अबूझमाड़ क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन का सफाया करने के लिए लगातार माओवादी विरोधी अभियान चला रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप माओवादी सशस्त्र समूहों और उनके तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और उनके प्रभाव क्षेत्र में कमी आई है.
गंभीर और अपूरणीय क्षति से खंडित, नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हुआ नक्सल संगठन
आईजी सुंदरराज ने कहा कि हाल के दिनों में प्रतिबंधित संगठन को गंभीर और अपूरणीय क्षति हुई है, जिससे संगठन खंडित, नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो गया है. यानी जो संगठन कभी एकजुट मोर्चा हुआ करता था, नेतृत्वविहीन होने से वह अब आंतरिक कलह और गंभीर संकटों से जूझ रहा है.
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कोसा दादा और राजू दादा की मौत ने माओवादी संगठन को किया है कमजोर
आईजी सुंदरराज ने कहा कि वर्ष 2024 में जिस सशक्त अभियान की गति बनी थी, वह वर्ष 2025 में भी लक्षित, निरंतर और उच्च प्रभाव वाले अभियानों के माध्यम से आगे बढ़ाई जा रही है। जनवरी 2024 से 22 सितंबर तक बस्तर क्षेत्र में कुल 437 कुख्यात माओवादी मारे गए हैं.
माओवादियों से अपील, हथियार त्याग कर सरेंडर कर मुख्यधारा में लौट आएं
वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई अटूट संकल्प, शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ तब तक जारी रहेगी जब तक इस संगठन का पूरी तरह समूल नाश नहीं हो जाता. हिंसा के मार्ग पर अब भी डटे माओवादी कैडरों से अपील की गई कि वे हथियार त्याग कर आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा में लौट आएं, अन्यथा कठोर परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहें.
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पूर्व बस्तर डिवीजन का प्रभारी और उत्तर सब जोनल ब्यूरो का सचिव रहा था कोसा दादा
एसपी रॉबिन्स गुरिया ने बताया कि राजू दादा को 2005 से 2008 तक कानूनी और अर्बन कोऑर्डिनेटर और अन्य दायित्व सौंपा गया था. वह 2008 से 2019 तक पूर्व बस्तर डिवीजन का प्रभारी और उत्तर सब जोनल ब्यूरो का सचिव रहा. 2019 से वह दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव था.
महारबेड़ा हमले का मास्टरमाइंड था राजू दादा, सीआरपीएफ के 27 जवानों की हुई शहीद
कई नक्सली हमलों में वांछित राजू दादा साल 2009 का महारबेड़ा हमले में भी शामिल था, जिसमें सीआरपीएफ के 27 जवानों की मृत्यु हुई थी, 2020 का जोनागुडेम हमला में भी शामिल था, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. यही नहीं, वह साल 2022 का टेकलगुडा हमला जिसमें छत्तीसगढ़ में 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, शामिल हैं.
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डीकेएसजेडसी का सदस्य रहा कोसा दादा 10 साल तक संभाला था संगठन सचिव पद
पुलिस अधिकारी ने बताया कि साल 1980 से डीकेएसजेडसी का सदस्य रहा कोसा दादा साल 2001 और साल 2011 तक इसी संगठन का सचिव पद संभाला था. वह साल 2023 से माड डिवीजन का कमांड प्रभारी और उत्तर क्षेत्रीय समिति का प्रभारी भी था, साथ ही, वह माओवादियों की केंद्रीय समिति और केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो का सदस्य भी था.
सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण में शामिल था कोसा दादा
साल 2009 में हुए मदनवाड़ा हमले में कोसा दादा शामिल था, जिसमें राजनांदगांव जिले के तत्कालीन एसपी विनोद चौबे व 26 अन्य सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. 2012 में सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण और 2009 में गढ़चिरौली जिले में मरकाटोला में घात लगाकर किए गए हमले भी वह शामिल था, जिसमें 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.
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मुठभेड़ में मारे गए नक्सली कोसा दादा और राजू दादा पर घोषित था 1.8 करोड़ का इनाम
एसपी गुरिया ने बताया कि मुठभेड़ में मारे गए दोनों नक्सली क्रमशः कोसा दादा और राजू दादा पर 1.8 करोड़ रुपए (छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपए, मध्यप्रदेश में 15 लाख रुपए, ओडिशा में 25 लाख रुपए, तेलंगाना में 25 लाख रुपए, आंध्र प्रदेश में 25 लाख रुपए और महाराष्ट्र में 50 लाख रुपए) का इनाम घोषित था.
महाराष्ट्र में 48, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में 6-6 और आंध्र में 6 घटनाओं शामिल था कोसा दादा
कोसा दादा 62 नक्सली घटनाओं में शामिल था. इनमें महाराष्ट्र में 48, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में छह-छह और आंध्र प्रदेश में दो घटनाएं शामिल हैं. वह 2009 में हुए मदनवाड़ा हमले में शामिल था, जिसमें राजनांदगांव जिले के तत्कालीन एसपी विनोद चौबे व 26 अन्य सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.