
Bastar Naxal Surrender 2025: इस बार छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में दीपावली सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि भय से मुक्ति का उत्सव बनने जा रही है. इसे लेकर यहां के रहवासी जमकर तैयारी भी कर रहे हैं. नक्सलियों के दशकों पुराने डर और पाबंदियों के बीच जीने वाले लोगों के लिए यह पहली दीपावली होगी जब आतिशबाज़ी करने, ढोल बजाने या उत्साह जताने पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा.
नक्सलियों के सरेंडर के बाद जगी उम्मीदें
बीते वर्षों में नक्सली गांवों में फटाखे फोड़ने तक पर रोक लगाते थे, क्योंकि वे फटाखों की आवाज का इस्तेमाल आपसी संदेशों के लिए करते थे. लेकिन अब जब सैकड़ों नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं, ग्रामीणों को ऐसा विश्वास हो रहा है कि भय का वह दौर अब पीछे छूट गया है.
208 नक्सलियों ने किया छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण
हाल ही में मुख्यमंत्री साय की मौजूदगी में कुल 208 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए. इनमें 98 पुरुष और 110 महिलाएं शामिल थीं. इन लोगों ने 153 हथियारों के साथ सरेंडर किया, जिसके बाद उन्हें सरकार की पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि इसके बाद अबूझमाड़ का अधिकतर इलाका नक्सल मुक्त होने की कगार पर है.
महाराष्ट्र में भी बड़े स्तर पर आत्मसमर्पण
महाराष्ट्र में भी CPI (माओवादी) के सीनियर कमांडर मल्लाजोलु वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने अपने 60 साथियों के साथ सरकार के सामने हथियार डाले. यह कदम न सिर्फ एक सुरक्षा सफलता माना जा रहा है, बल्कि पूरे नक्सल प्रभावित बेल्ट में शांति की दिशा में निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है.
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'भय से आजादी' का त्योहार बनेगी यह दीपावली
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब आतिशबाजी से लेकर उत्सव की हर पारंपरिक रस्म बिना डर के निभाई जाएगी. उनका मानना है कि नक्सलवाद के पीछे हटने से अब विकास की सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सपनों की सुविधाएं भी उनके आंगन तक पहुंचेंगी.
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