Father dead body arrived : छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिस-नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की क्रॉस फ़ायरिंग (Cross Firing) में अब आम लोग भी मारे जा रहे हैं. बीजापुर जिले में दुधमुंही बच्ची को क्रॉस फायरिंग में गोली लगने के मामले में अब तक न्याय नहीं मिल पाया है. इस बीच एक और मामला सामने आ गया. क्रॉस फ़ायरिंग (Cross Firing) में बेकसूर ग्रामीण की मौत हो गई है. इस मामले में सबसे दुखद पहलू ये है कि जिस दिन ग्रामीण की गोली लगने से मौत हुई, उस दिन घर में जश्न का माहौल था. बेटी का जन्म होने की सभी खुशियां मना रहे थे. इन खुशियों के बीच जब लाश घर पहुंची, तो सभी के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई.
पत्नी बोली- ज़िंदा गए थे, कुछ देर में लाश आई
ये पूरा मामला दंतेवाड़ा-बीजापुर जिले के इंद्रावती नदी पार गांव बोड़गा का है. अब न्याय की मांग को लेकर 21 गांव के ग्रामीण आंदोलन पर बैठ गए हैं. हालांकि, ये अभी स्पष्ट नहीं है कि किसकी गोली लगने से ग्रामीण की मौत हुई है. बता दें कि 29 जनवरी की रात दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन (Joint Operation) लॉन्च किया था. पुलिस के दावे के अनुसार 30 जनवरी की सुबह इंद्रावती नदी पार के गांव में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ भी हुई थी. इसमें रमेश नाम के एक ग्रामीण की क्रॉस फायरिंग में मौत हो गई. ग्रामीण एसटीएफ जवान का भाई है. मृतक रमेश की पत्नी ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले शादी हुई थी. इसी साल जनवरी में हमारी बेटी हुई, बेटी अभी 12 दिन की है. बेटी के जन्म के बाद से रमेश बहुत खुश थे. 30 जनवरी को घर पर छठी का कार्यक्रम था. परिवार के लोग, समाज और पूरे गांव वाले घर में इकट्ठा हुए थे. उसी दिन रमेश अपने गांव बोड़गा से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित अपने बुआ के घर टाडोपोटा गांव गया था. यहां छठी कार्यक्रम के लिए सामान ले रहा था. लेकिन, कुछ देर बाद पति की लाश घर आई. वे खुशी-खुशी गए थे, लेकिन बेटी के नामकरण के दिन उनकी लाश लौटी. पत्नी ने कहा कि लोगों ने उन्हें बताया कि पति को पुलिस वालों ने गोली मारी है.
भाई ने कहा- हमें न्याय चाहिए
रमेश के बड़े भाई सुधराम ने कहा कि 30 जनवरी को घर पर छठी का कार्यक्रम चल था. सभी खुश थे, लेकिन कुछ ही घंटे में खुशियां गम में बदल गई. पुलिस ने मेरे भाई को गोली मारी है. हमने शव का अंतिम संस्कार कर दिया दिया है. हम तीन भाइयों में एक भाई पुलिस में है. हम खेती-किसानी कर गुजर-बसर करते हैं. सुधराम ने कहा कि मेरा भाई इंद्रावती नदी के पास बुआ के घर गया था. जहां उसे गोली लगी है. भाई बेमौत मारा गया है. उसका कोई कसूर नहीं था. मेरे परिवार को न्याय चाहिए.
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ग्रामीणों ने बनाया स्मारक
दरअसल, इंद्रावती नदी किनारे जिस जगह से रमेश की लाश बरामद हुई थी. अब उसी जगह पर रमेश की याद में ग्रामीणों ने स्मारक बना दिया है. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. इस मामले को लेकर आदिवासी समाज भी सामने आया है. बीजापुर जिले के आदिवासी समाज के संरक्षक चंद्रयन सकनी ने कहा कि हम मांग करते हैं कि, इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए. उच्च स्तरीय जांच हो. इस घटना का इलाके के ग्रामीण जमकर विरोध कर रहे हैं. 30 जनवरी को जैसे ही यह खबर पूरे गांव में फैली तो इंद्रावती नदी पार के बीजापुर और नारायणपुर जिले के करीब 21 गांव के ग्रामीण पहुंच गए. इनमें ताकिलोड, पल्लेवाया, रेकावाया, डूंगा, धर्मा, बेलनार, गुंडेमा, पिड्याकोट समेत अन्य गांव के ग्रामीण शामिल हैं. नदी पार गांव के ग्रामीण लंबू, सहदेव समेत अन्य न कहा कि, जब तक मामले की जांच नहीं होती और जब तक कार्रवाई नहीं होगी पूरे 21 गांव के लोग धरने पर बैठे रहेंगे.
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