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बारनवापारा अभ्यारण्य में सैलानियों के चेहरे पर लौटी खुशी, जंगल में आए नए मेहमान की दहाड़ ने तोड़ी खामोशी

Tiger Movement in Barnawapara: अभ्यारण्य और वन विकास निगम क्षेत्र में बाघ के मूवमेंट की जानकारी सामने आते ही सैलानियों की खुशी बढ़ गई है. वहीं वन विभाग अलर्ट मोड पर है.

बारनवापारा अभ्यारण्य में सैलानियों के चेहरे पर लौटी खुशी, जंगल में आए नए मेहमान की दहाड़ ने तोड़ी खामोशी
Tiger Movement in Barnawapara

Barnawapara Sanctuary: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में स्थित प्रसिद्ध बारनवापारा अभ्यारण्य इन दिनों सुर्खियों में है. बारनवापारा अभ्यारण्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुलने के साथ ही जंगल में एक नए मेहमान ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. जंगल की खामोशी को इस नए मेहमान की दहाड़ ने तोड़ा है. अभ्यारण्य और वन विकास निगम क्षेत्र में बाघ के मूवमेंट की जानकारी सामने आते ही सैलानियों की खुशी बढ़ गई है. वहीं वन विभाग अलर्ट मोड पर है.

वन विभाग की टीम सक्रिय

बलौदा बाजार और महासमुंद जिले की सीमा से लगे इस क्षेत्र में बाघ के देखे जाने और कैमरे में तस्वीरें कैद होने की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम इस इलाके में सक्रिय हो गई है. विभाग ने इलाके में गस्त और निगरानी बढ़ा दी है. इधर ग्रामीणों के द्वारा बाघ के शिकार के मैसेज ने चिंता बढ़ा दी है.

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वन विभाग और बारनवापारा के अधिकारी बाघ की मौजूदगी को फिलहाल भले ही सुरक्षा कारणों से आधिकारिक पुष्टि करने से बच रहे हैं, लेकिन विभाग के पूरे इलाके में  निगरानी और नाइट पेट्रोलिंग शुरू करने से हलचल मच गया है. ग्रामीणों के साथ ही बारनवापारा अभ्यारण्य की आवाजाही पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है. आने जाने वाली तमाम वाहनों के नंबर और चालक का नाम दर्ज किया जा रहा है. 

जानकारों के मुताबिक, यह बाघ सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व के जंगलों से बारनवापारा अभ्यारण्य का एक कॉरिडोर है जिसमें बाघ सुरक्षित महसूस करते हुए भ्रमण करने आ गया हैं. क्योंकि इस क्षेत्र में पहले भी बाघ का रहवास रह चुका है इसलिए वे यहां आ रहे हैं. अब तक की जानकारी में यह तीसरा बाघ है रहवास की तलाश करते हुए आया है.

बाघ की गोमर्दा वन्यजीव अभ्यारण्य में हुई थी मौत

सूत्रों के मुताबिक इससे पहले दो बाघ में से एक बाघ की गोमर्दा वन्यजीव अभ्यारण्य में शिकारियों के करंट में फंसने से मौत हो चुकी है, जिसे बड़े ही नाटकीय अंदाज में विभाग ने मौत की पूरी जानकारी छुपते हुए अंतिम संस्कार किया था. वहीं दूसरे बाघ को कसडोल के रहवासी क्षेत्र में ट्रेंकुलाइज के बाद रेस्क्यू किया गया था.  इसके बाद अब यह तीसरा बाघ है जो बलौदा बाजार के बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र के वन विकास निगम क्षेत्र में पहुंचा है.

2024 में एक बाघ था सक्रिय

जानकारों के मुताबिक यह वही इलाका है जहां साल 2024 के फरवरी से अक्टूबर के बीच भी एक बाघ सक्रिय था. उस समय उसे ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया गया था और बाद में छत्तीसगढ़ के चौथे और देश के 56 वें बने टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था. 

वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उसे मादा मिल गई और वह जोड़ी बना लिया है. अब इधर उस बाघ के जाने के एक साल बाद एक बार फिर से इस क्षेत्र में बाघ की दहाड़ सुनाई देना बारनवापारा अभ्यारण्य के समृद्ध होते पारिस्थितिक तंत्र का संकेत माना जा रहा है. यहां बाघ को खाने के लिए पर्याप्त शिकार मिल रहा है, हालांकि वन विकास निगम के क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी ने भले ही वन विभाग की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन पर्यटकों के लिए यह खुशी की खबर है और अब मांग उठने लगी है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार बारनवापारा अभ्यारण्य को वन विकास निगम के क्षेत्र को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने के लिए आवेदन करना चाहिए ताकि यहां पर बेखौफ होकर बाघ विचरण कर सकें.

क्योंकि पहले भी यह क्षेत्र बाघों के विचरण का क्षेत्र रहा है ऐसे में वन्यजीव प्रेमियों की मांग है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) मांग के साथ ही बाघों की लगातार हो रही मौजूदगी पर ध्यान देकर इस क्षेत्र को विकसित करने का काम करें. 

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बता दें कि वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए पहले ही प्रस्ताव पारित किया था. वन विकास निगम क्षेत्र को जोड़कर जगह के विस्तार करने पर कई बार चर्चा हुई थी. वहीं गत वर्ष जब टाइगर आया था तब बाघों के लिए काम और उनके संरक्षण और आबादी को बढ़ाने पर केंद्रित करने वाली संस्था विश्व वन्यजीव कोष (WWF) ने मॉनिटरिंग के लिए 50 कैमरा बलौदा बाजार जिले को दिए थे, जिससे पिछले साल बाघ की मॉनिटरिंग की गई थी. उम्मीद किया जा रहा है कि विभाग खुद के खरीदे 100 कैमरा और डब्लूडब्लूएफ से मिले 50 कैमरे की मदद से आए हुए नए मेहमान की निगरानी करेगा.

बाघों के संरक्षण से जुड़े जानकार कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कई जंगलों को अभ्यारण्य से टाइगर रिजर्व बनाया गया है. हाल ही में पिछले सप्ताह ही ओंकारेश्वर जंगल को अभ्यारण्य घोषित किया गया है. अगर वन्य जीवों के लिए कुछ करने की इच्छा हो तो छत्तीसगढ़ सरकार बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र को मध्यप्रदेश का अनुसरण कर जिस क्षेत्र में बाघ खुद पहुंच रहे हैं उसे टाइगर रिजर्व घोषित करा ले, क्योंकि इस क्षेत्र का इतिहास रहा है जहां हमेशा बाघ सुरक्षित रहते थे.

2026 होना है बाघों की गणना 

पूरे भारत में इन दिनों बाघों के संरक्षण के लिए जोर शोर से तैयारी की जा रही है. वजह है कि हर चार वर्षों में बाघों की गणना होती है, पिछली गणना 2022 में हुई थी, अब अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 में होनी है, इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. जगह जगह ट्रेनिंग दिए जा रहे. छत्तीसगढ़ में 4 टाइगर रिजर्व हैं इनमें नया बना गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व मनेंद्रगढ़-चिर्मिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में फैला हुआ है. वहीं अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर, मुंगेली, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में फैला हुआ है, जबकि इंद्रावती टाइगर रिजर्व यह बीजापुर जिले में है. वहीं सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व गरियाबंद, धमतरी और रायपुर जिले में फैला हुआ है.

वन विभाग त्वरित मुआवजा देने में पीछे है 

लोगों की शिकायत है कि वन्यजीव से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी बहुत उदासीन रवैया अपनाते हैं. संरक्षित वन्यजीव बाघ के हमले से मनुष्य की मृत्यु पर 6 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है, जबकि मनुष्यों द्वारा पाले गए मवेशियों की मृत्यु पर मवेशी के अनुसार मुआवजा दिया जाता है. बलौदा बाजार वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगता रहा है कि वे मुआवजा के प्रकरण को त्वरित निराकरण नहीं करते. गत दिनों जब हाथी के हमले से एक व्यक्ति की मौत हुई तब उसके आश्रित परिजनों को मुआवजा देने में देरी की गई. इस बात का गुस्सा जब हाथी कुंआ में गिरे तब ग्रामीणों की नाराजगी देखने को मिली थी.

करंट से शिकार पर निगरानी की जरूरत 

वन्यप्रेमी शिरीष डामरे ने कहा कि बलौदा बाजार जिले में अब तक कई शिकार करंट लगाकर किए गए हैं. हाल ही में एक मादा गौर का शिकार भी करंट लगाकर किया गया था. इससे पहले भी शिकार हुए हैं, वन्यजीव प्रेमी के मुताबिक यहां करंट से ज्यादा वन्यजीव को मारा जाता है. इसपर वन विभाग को निगरानी रखने की जरूरत है. वन्य रक्षक और बिट गार्ड को अलर्ट मोड पर रखा जाए, जिससे बाघ सुरक्षित महसूस कर यहां अपना रहवास बनाए. 

बाघ की निगरानी करने में होगी चुनौती 

वन विभाग के लिए बाघ की निगरानी करना इस समय कठिन होने वाला है. यह स्थिति इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अभ्यारण्य क्षेत्र में पहले से ही 28 हाथियों का विशाल दल मौजूद है. इनमें से भी कुछ हाथी अपने झुंड से बिछड़ गए हैं, जो आक्रोशित हो रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों तब देखने को मिला जब अभ्यारण्य के अधीक्षक की गाड़ी को हाथी ने नुकसान पहुंचाया. इससे पहले हरदी गांव में हाथियों ने एक व्यक्ति की जान भी ले ली थी और तीन हाथी कुएं में गिर गए थे, जिन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बाहर निकाला गया था. लगातार हाथियों की गतिविधियों के बीच अब बाघ का आना वन विभाग के लिए दोहरी जिम्मेदारी लेकर आया है.

अधिकारियों ने कहा है कि जंगल की सुरक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इलाके में विशेष निगरानी रखी जा रही है. वन कर्मियों और गार्ड की तैनाती की गई है.

समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र होने पर आते हैं बाघ

बारनवापारा अभ्यारण्य में बाघ की यह वापसी इस बात का संकेत है कि यहां का पारिस्थितिक तंत्र लगातार समृद्ध और संतुलित हो रहा है। यहां बाघ को खाने के लिए शाकाहारी जीव नीलगाय, गौर, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, चार सींगों वाला हिरण (चौसिंघा) और काला हिरण हैं. वहीं उसके शिकार के बाद बचे हुए शिकार को खाने वाले मांसाहारी जीव तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा और जंगली कुत्ते के अतिरिक्त यहां जंगली बिल्ली और साही हैं. इसके अलावा यहां कई प्रकार की चिड़िया, 132 प्रजाति की तितलियां, गिलहरी, तोता आदि पाए जाते हैं.

उत्साहित हैं पर्यटक, गुमसुम है वन विभाग 

बलौदा बाजार जिले की सीमा पर गरियाबंद और महासमुंद के जंगलों में कॉरिडोर बनाकर पहुंचे इस नए ‘मेहमान' की आमद से एक ओर जहां पर्यटक और वन्यजीव प्रेमी उसके स्वागत के लिए उत्साहित हैं, वहीं वन विभाग एक नई चुनौती से गुमसुम है. विभाग के अधिकारी यह तक नहीं कह पा रहे हैं कि यह बाघ सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व से पलायन कर यहां तक पहुंचा है. बाघ को लेकर भले ही विभाग पूरी सतर्कता के साथ जंगल की हर सरसराहट पर नजर रखे हुए है, लेकिन बाघ की पूरी जानकारी शिकारियों और तस्करों से बचाने के लिए गोपनीय रखी जा रही है. जबकि मध्यप्रदेश में सरकार और वन विभाग बाघ के आमद पर पूरी जानकारी बिना छुपाए पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करते हैं, ताकि पर्यटक ज्यादा से ज्यादा वहां आएं. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के पर्यटक भी बारनवापारा अभ्यारण्य आने की जगह मध्यप्रदेश के जंगलों को घूमना पसंद कर रहे हैं.

ग्रामीण कह रहे बाघ का करेंगे शिकार 

इधर, बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग बाघ लाकर छोड़ते हैं, ताकि यहां के लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर कर सकें. उन्होंने मीडिया से निवेदन किया है कि वे अधिकारियों से पूछे कि वह कौन सा पड़ोसी राज्य है, जहां से बाघ शहरों कि गलियों से घुमकर बारनवापारा आता है. यह भी कहा जा रहा है कि छोड़े गए पालतु बाघ को जंगल जंगल में हम जगह नहीं देंगे. इस बाघ कि वजह से हमारे आवागमन के रास्तों को बंद कर दिया जाता है, जो बाघ हमारा नहीं हैं, उसका शिकार भी हम जंगल वासी करेंगे. अर्थात ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे इस बाघ का शिकार कर देंगे. इस बात की जानकारी पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अरुण पांडेय और वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील को दी गई है. 

वन्यजीव प्रेमी ने लिखी चिट्ठी 

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने एक बार फिर विभाग को पत्र लिखकर पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए बाघ की सुरक्षा की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वो 27 अक्टूबर 2025 को बलौदा बाजार वन प्रभाग में मादा बाइसन के शिकार की घटना पर चिंता जताई गई थी. अब बाघ के आगमन की सूचना है. उन्होंने शिकार-विरोधी दस्ता, गश्त, जागरूकता, मुआवजा भुगतान और मीडिया में गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए सह-अस्तित्व व वन्यजीव संरक्षण के उपाय तत्काल किए   जाने की मांग की है. 

वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने कहा कि बलौदा बाजार वनमण्डल में बाघ आया है, उसके लिए टीम लगाई गई है. टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है. उसको सुरक्षित रहवास मिले इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के अगर मवेशियों की हानि होती है तो विभाग क्षति के लिए शासन के निर्देशों के अनुरूप मुआवजा देने का काम करेगा. हम सभी का दायित्व है कि वन्यजीव की रक्षा करें और साथ मिलकर काम करें. अभी बाघ का मूवमेंट सीमावर्ती क्षेत्र में है. उसकी ट्रेकिंग की जा रही है. टाइगर का मूवमेंट धमतरी  क्षेत्र में रहा है ऐसे में यह ओडिसा से भी यहां आ सकता है.

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