
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम तरौद में डायरिया का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर जहां संक्रमण से अब तक एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है और 30 से अधिक ग्रामीण बीमार हैं, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग का गैरजिम्मेदाराना रवैया अब स्थानीय लोगों के आक्रोश का कारण बनता जा रहा है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ ने एक ऐसा बयान दे दिया कि बवाल मच गया.
डायरिया प्रभावित गांव में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे. जानकारी के अनुसार, सीएमएचओ ने जब ग्रामीणों को ORS घोल के पैकेट बांटे, तो उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी की "इसे शराब में मिलाकर मत पीना"...
इस विवादास्पद टिप्पणी को सुनते ही ग्रामीणों का पारा चढ़ गया. लोगों ने इसे गांव के सम्मान और पीड़ितों के अपमान से जोड़ते हुए उपस्वास्थ्य केंद्र में जमकर विरोध और हंगामा किया. हालात बिगड़ते देख सीएमएचओ को ग्रामीणों से माफी मांगनी पड़ी, जिसके बाद स्थिति कुछ शांत हो सकी.
डायरिया से मौत के बाद लगातार बढ़ते मामले
तरौद गांव में तीन दिन पहले दूषित पानी पीने से डायरिया फैलने लगा था. गांव के 42 वर्षीय निवासी मोहित कुमार निषाद की मौत हो चुकी है और अब तक 30 से अधिक लोग संक्रमण की चपेट में हैं. चार मरीजों की हालत गंभीर है जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है.
संक्रमण का कारण बनी पुरानी पाइपलाइन, अब बंद
तरौद गांव में जल आपूर्ति के लिए अब तक 15-20 वर्ष पुरानी पाइपलाइन और बोरवेल का उपयोग किया जा रहा था, जिससे दूषित पानी की आपूर्ति हो रही थी.फिलहाल स्वास्थ्य विभाग और पंचायत के निर्देश पर पुरानी पाइपलाइन से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है और अब टैंकरों के माध्यम से शुद्ध जल की आपूर्ति की जा रही है.लेकिन इसके बावजूद, पिछले 24 घंटों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, जो विभाग की लचर निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है.
स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली बनी नाराजगी की वजह
जिस विभाग पर जनस्वास्थ्य की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, उसी विभाग के मुखिया की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी और आपदा प्रबंधन में सुस्ती अब लोगों के बीच गंभीर नाराजगी और अविश्वास पैदा कर रही है.
ग्रामीणों का कहना है कि अगर शुरुआत में विभाग ने सक्रियता दिखाई होती, तो हालात इतने खराब नहीं होते। वहीं, विभाग के कुछ कर्मचारी भी स्वीकार करते हैं कि पानी की नियमित जांच, दवा वितरण और सामुदायिक चेतना फैलाने जैसे कार्यों में देरी हुई.
असंवेदनशीलता और अव्यवस्था, दोनों ने किया नुकसान
तरौद गांव में पानी से शुरू हुई बीमारी ने एक जान ले ली, दर्जनों लोगों को अस्पताल पहुंचाया और अब यह प्रशासनिक लापरवाही और असंवेदनशीलता का प्रतीक बन गई है.सीएमएचओ की “शराब” वाली टिप्पणी न केवल असंवेदनशील थी, बल्कि एक त्रस्त समुदाय की पीड़ा का मज़ाक भी मानी जा रही है.
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