
Anti Naxal Operation News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariaband) जिले के तौरेंगा के जंगलों में जब सुरक्षाबलों की एक सर्चिंग टीम को नक्सलियों (Naxalites) की मौजूदगी की सूचना पर रवाना किया गया, तो एक अनोखी तस्वीर सामने आई. दरअसल, इस बार गोलियों की गूंज नहीं, बल्कि बोरियों की खामोशी ने सबका ध्यान खींचा.
मैनपुर थाना क्षेत्र के घने जंगलों में जिला बल और सीआरपीएफ कोबरा 207 की संयुक्त टीम जब गश्त पर पहुंची, तो नक्सली तो नजर नहीं आए. हां, जो पीछे छूट गया, वह एक अलग ही कहानी कहता है. दरअसल, सुरक्षाबलों को वहां छिपाकर रखी गई राशन सामग्री, नमक, दाल, चावल और दैनिक जरूरत की चीजें बरामद हुईं.
नक्सलियों पर बढ़ा दबाव
यह घटनाक्रम एक और नक्सलियों के तंत्र में आ रही कमजोरी को उजागर कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर यह भी संकेत है कि अब उनके पांव उखड़ रहे हैं. माओवादी दस्तों की रणनीति में अब शायद संसाधनों की कमी और लगातार बढ़ते दबाव ने असर दिखाना शुरू कर दिया है.
जंगल में भूख के निशान
बरामद सामान इस ओर इशारा करते हैं कि इलाके में किसी अस्थायी शिविर या जमावड़े की योजना रही होगी, लेकिन सुरक्षाबलों की सक्रियता और स्थानीय खुफिया नेटवर्क की सतर्कता ने उन्हें वहां टिकने नहीं दिया और उन्हें राशन छोड़कर भागना पड़ा, जो उनकी कमजोर होती पकड़ का संकेत है.
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पुलिस ने फिर की मुख्यधारा में लौटने की अपील
इस मौके पर गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने एक बार फिर से नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने की अपील की. आत्मसमर्पण करने वालों को शासन की योजनाओं के तहत रोजगार, सुरक्षा और पुनर्वास का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि हिंसा के रास्ते को छोड़ने का यह शायद सबसे सही समय है. जब जंगल से खामोशी की आवाज़ आ रही है.