
RBI Gold Loan New Guidelines: आरबीआई (RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार 9 अप्रैल को घोषणा की कि सोने के गहनों को गिरवी रखने पर मिलने वाले गोल्ड लोन के लिए मौजूदा चिंताओं को देखते हुए व्यापक नियम जारी किए जाएंगे. सोने के आभूषणों और गहनों के जमानत के बदले लोन देने के लिए विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा उपभोग और आय-उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाती है. उन्होंने कहा, "समय-समय पर ऐसे लोन के लिए विवेकपूर्ण और आचरण-संबंधी नियम जारी किए गए हैं और वे विभिन्न श्रेणियों के आरई के लिए अलग-अलग हैं. आरई में ऐसे नियमों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, उनकी जोखिम लेने की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए और कुछ चिंताओं को देखते हुए ऐसे लोन के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों और आचरण-संबंधी पहलुओं पर व्यापक नियम जारी करने का निर्णय लिया गया है." इस संबंध में ड्राफ्ट गाइडलाइंस पब्लिक कमेंट के लिए जारी किए जा रहे हैं.
इस ऐलान के बाद गिर गए इनके शेयर
इस घोषणा के बाद बुधवार को मुथूट फाइनेंस, आईआईएफएल फाइनेंस, मणप्पुरम फाइनेंस, चोला मंडलम इन्वेस्टमेंट और फिन कंपनी के शेयरों में 7 प्रतिशत तक की गिरावट आई.
आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 को समाप्त होने वाली अवधि में गोल्ड लोन में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन देने में शामिल कुछ सुपरवाइज्ड एंटिटी (एसई) के बीच देखी गई अनियमितता पर भी चिंता जताई.
इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए आरबीआई ने 30 सितंबर, 2024 को व्यापक दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें एसई को अपनी नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रथाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया.
रिपोर्ट में खामियों की हुई थी पहचान
रिपोर्ट में आउटसोर्सिंग प्रैक्टिस में कमियां, सोने के मूल्यांकन में विसंगतियां और लोन फंड के अंतिम उपयोग की अपर्याप्त निगरानी सहित कई खामियों की पहचान की गई.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) गोल्ड लोन सेगमेंट में अपना दबदबा बनाए हुए हैं. मार्च 2024 तक बैंकों और एनबीएफसी दोनों के वितरित कुल गोल्ड लोन में से 59.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी एनबीएफसी के पास है. यह उन उधारकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जो लोन पाने के लिए सोने के आभूषणों और गहनों पर निर्भर हैं.
GDP पर आरबीआई ने क्या कहा?
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (आरबीआई एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 20 आधार अंक कम करके 6.5 प्रतिशत कर दिया है जो कि पहले 6.7 प्रतिशत था. इसकी वजह अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के कारण पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता है. यह जानकारी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को दी है. केंद्रीय बैंक के मुताबिक, जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रह सकती है.
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