Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस लाडली बहना और नारी सम्मान जैसी योजना के जरिये महिला मतदाताओं (women voters) को लुभाने में लगी हुई हैं. हालांकि चुनाव से ठीक पहले महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) जैसे और कई अहम घटनाक्रम हुए, राज्य में अंतिम मतदाता सूची भी छप गई है, जिसके आंकड़ों पर आप निगाह डालें तो पता लगता है महिलाओं पर फोकस की वजह क्या है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने बुधवार को बुरहानपुर महिला सम्मेलन में एक करोड़ 31 लाख लाडली बहनों के खातों में सिंगल क्लिक से 1597 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए. यानी लाडली बहनों को बढ़ी हुई राशि के रूप में 1250 रूपए की किस्त जारी की गई और फिर कहा-
देखा जाए तो शिवराज ने अपने कार्यकाल में लाडली बहना,लाडली लक्ष्मी योजना, नारी सम्मान योजना और सस्ता सिलेंडर देकर महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आचार संहिता लगने से ठीक पहले उन्होंने महिलाओं को सरकारी नौकरी की सीधी भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण देनेका भी ऐलान कर दिया है. दरअसल ये ऐलान बिलावजह नहीं है, जरा इन आंकड़ों पर नजर डालते हैं.
29 महिला मतदाता बहुल सीटों वाले जिलों में पश्चिम एमपी या मालवा-निमाड़ क्षेत्र के इंदौर, रतलाम, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ और उज्जैन के अलावा महाकोशल क्षेत्र के बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, सिवनी और अनूपपुर जिले शामिल हैं. अब लगे हाथ बुधवार को मध्यप्रदेश के लिए जारी हुए चुनाव आयोग के आंकड़ों पर भी निगाह डाल लेते हैं.
इन ऐलानों पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहते हैं हमारी सरकार ने 33% आरक्षण दिया. ये हमारा विश्वास है कि विकास में 50 प्रतिशत आबादी की अपनी भूमिका है. कांग्रेस के लोग इसको बदनाम करने के लिए दुनिया में जाते हैं लेकिन वे नहीं जानते कि आज से 25 साल पहले BJP के नेतृत्व ने अपने संगठन महिलाओं को आगे करना शुरू कर दिया था.हमारी वर्किंग कमेटी में भी 33% से ज़्यादा महिलाएँ है. ग्रामीण निकाय नगर निकाय में अवसर दिये गए है,हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सीधी भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण हमारी बहनों को दिया गया. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रधानमंत्री का संकल्प है और लाड़ली बहना हमारे मुख्यमंत्री का संकल्प है, कल ही 1250 रुपए बहनों के खाते के गए, महिलाओं को आगे बढ़ाना हमारा संकल्प है. दूसरी तरफ महिलाए इस संख्या को उनकी भागीदारी से जोड़ कर देख रही हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता मीता वाधवा कहती हैं महिलाएँ एक्टिव होने लगी है चीज़ों में पार्टिसिपेट करने लगी हैं ये अच्छी बात है महिलाओं का वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ रहा है ये अच्छा है.राजनीतिक दलों को इन योजनाओं से फ़ायदा होगा और कोई भी डिसिज़न मिनट डेटाबेस रिसर्च के बिना होता नहीं है …महिला एक परिवार को इन्फ्लुएंस करती है….महिलायें बाहर आ रही हैं, काम कर रही हैं. एक महिला का डिसीज़न पूरी फ़ैमिली के डिसीज़न को इन्फ्लुएंस करता है.
मीता वाधवा
इसी तरह से छात्रा रमशा खान का कहना है आने वाले समय में देखा जा रहा है कि महिलाएं जागरूक हो गयी हैं, वोट के अलावा भी कई क्षेत्रों में महिलाएँ जागरुक रूप में काम कर रहे हैं. पिछले समय में महिलाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता था. मेल डोमिनेटिंग सोसाइटी थी लेकिन आज वक़्त बदल गया है लोग महिलाओं के बारे में सोच रहे है ये अच्छा है…
रमशा खान
कांग्रेस ने भी महिलाओं को लेकर कई वायदे किये हैं लेकिन उन्हें सरकारी ऐलान चुनावी स्टंट लग रहा है,कांग्रेस प्रवक्ता फ़िरोज़ सिद्दीक़ी ने कहा जब चुनाव आते हैं तो भारतीय जनता पार्टी को महिलाएं याद आती है. भारतीय जनता पार्टी ने विकलांग पेंशन,वृद्धा पेंशन और महिला पेंशन सब बंद कर दिया.कांग्रेस ने हमेशा से महिलाओं को सशक्त किया है अगर पंचायतों की बात हो या नगरीय निकाय की.
से हर दल महिलाओं को लेकर बड़ी बड़ी बातें करता है महिला आरक्षण लागू होने पर इस विधानसभा में 76 महिला विधायक बैठ सकती हैं. लेकिन 230 सदस्यों वाली विधानसभा में इस वक्त सिर्फ 21 विधायक बैठी हैं यानी 10 प्रतिशत से भी कम, 11 बीजेपी से, 10 कांग्रेस से और एक बहुजन समाज पार्टी की महिला विधायक.
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