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This Article is From Dec 06, 2023

मध्यप्रदेश में 15 सीटों पर भारी पड़ा NOTA, हार-जीत में अंतर से ज्यादा हासिल किया 'वोट'

मध्यप्रदेश में नोटा (NOTA) को लेकर दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं. जिसके मुताबिक NOTA ने सूबे की 15 सीटों पर खेल बिगाड़ा है. यहां हार-जीत के बीच जो अंतर था, NOTA ने उससे ज्यादा वोट हासिल किए.

मध्यप्रदेश में 15 सीटों पर भारी पड़ा NOTA, हार-जीत में अंतर से ज्यादा हासिल किया 'वोट'

Madhya Pradesh Results 2023: मध्यप्रदेश में चुनाव संपन्न हो चुका है और नई सरकार गठन की कवायद चल रही है. लेकिन इस बीच नोटा (NOTA) को लेकर दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं. जिसके मुताबिक NOTA ने सूबे की 15 सीटों पर  खेल बिगाड़ा है. यहां हार-जीत के बीच जो अंतर था, NOTA ने उससे ज्यादा वोट हासिल किए. ये पूरा आंकड़ा हम इसी रिपोर्ट में आपके सामने रखेंगे...लेकिन उससे पहले NOTA से संबंधित दूसरी रोचक चीजों को भी जान लेते हैं.दरअसल साल 2013 में 5 राज्यों में नोटा का प्रयोग हुआ जिसमें मध्यप्रदेश भी शामिल था,लेकिन 2018 से 2023 तक नोटा की भी सरकार बनाने या किसी का खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका हो गई है.मध्य प्रदेश में हुए 77.15 प्रतिशत मतदान में से 0.98 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना. यानी ( None of the above) का विकल्प होता है जिसका मतलब है उसे कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है. 2013 में 1.90, 2018 में 1.42 और 2023 में राज्य में 77.15 प्रतिशत मतदान हुआ जिसमें 0.98 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना.अब ये जान लेते हैं कि NOTA ने कैसे 15 सीटों पर समीकरण बदल दिए.  

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2023 में शाजापुर सीट से बीजेपी के अरुण भीमावद ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री हुकुमचंद कराड़ा (Hukumchand Karada)को 28 वोटों से हरा दिया,नतीजों के बाद वहां पथराव हुआ हंगामा खड़ा हो गया ... इस शोर में नोटा में 1534 मत ले गया.कृषि मंत्री कमल पटेल भी हरदा में 870 वोटों से हार गये उनकी सीट पर भी नोटा के हिस्से 2375 वोट आए. बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस-बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी, बसपा, जदयू (Samajwadi Party, BSP, JDU) और आप भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रही थी. अंतिम परिणाम के मुताबिक अखिलेश (Akhilesh Yadav)की सपा को 0.46% वोट, केजरीवाल की आप ने 70 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे उनको कुल 0.53% मिले. इसके अलावा नीतीश की जदयू ने 10 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. जिन्हें 0.02% वोट मिले. जदयू के तीन प्रत्याशियों को 200 से भी कम वोट मिले. यानी आप समझ सकते हैं कि राज्य में नोटा ही इन पार्टियों के मुकाबले मतदाताओं के पसंद बना.

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