
Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्यप्रदेश में अब सभी 230 विधानसभा सीटों पर मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है. नाम वापसी की मियाद खत्म होने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम नहीं हुई है. दोनों ही पार्टियों के बागी नेता अपनी पुरानी पार्टियों की जीत की राह में रोड़ा बन कर खड़े हो गए हैं. कांग्रेस में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ (Digvijay Singh and Kamal Nath) ने अंतिम वक्त तक बागियों को मनाने की कोशिश की. इसमें उन्हें कुछ सफलता भी मिली. दोनों की जोड़ी बीते 24 घंटे में 15 बागी नेताओं को नाम वापस लेने मनाने में सफल रही, हालांकि पार्टी के चार पूर्व विधायक नहीं माने और मैदान में डटे हुए हैं. दूसरी तरफ बीजेपी आलाकमान भी अपने पांच बागी नेताओं को मनाने में विफल रहा.
सबसे पहले बात कांग्रेस की करते हैं. पार्टी के चार पूर्व विधायक टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस को भोपाल उत्तर सीट (Bhopal North Seat)पर अलग तरह के मामले का सामना करना पड़ रहा है. यहां विधायक आरिफ अकील (Aarif Aqeel) के भाई अमीर अकील ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उनका चुनाव निशान हॉकी बॉल है. अमीर अकील अपने ही भतीजे आतिफ अकील के सामने चुनावी मैदान में हैं. बीते दिनों सार्वजनिक तौर पर विधायक आरिफ अकील ने आतिफ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. अमीर अकील इसी से नाराज हैं.

अब बात बीजेपी की. पार्टी ने नाम वापसी की मियाद के खत्म होने से पहले बागियों को मनाने की पुरजोर कोशिश की. खुद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah)ने प्रदेश के बड़े नेताओं को इस काम में लगाया था. प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने एक-एक बागी नेता को फोन कर या मिल कर समझाने की कोशिश की लेकिन पांच सीटों पर पेंच फंसा ही रह गया.

वैसे तो हर चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता चुनावी मैदान में कूदते हैं और इनमें कई तो बाजी मार भी लेते हैं. लेकिन एक बात तो पक्की है कि वे अपनी-अपनी पूर्व पार्टियों को नुकसान जरूर पहुंचाते हैं. अब ये 3 दिसंबर को ही पता चलेगा कि बागियों के मैदान में उतरने से किस पार्टी को कितना नुकसान हुआ?
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