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This Article is From Mar 13, 2025

गांव से ग्लोबल स्तर तक जंगल बचाओ अभियान! अफ्रीका व फिनलैंड में पहचान बनाने वाली उजियारो बाई की जानिए कहानी

Ujiyaro Bai MP: डिंडोरी जिले की रहने वाली उजियारो बाई ने अपने गांव से बहुत छोटे स्तर पर जंगल बचाओ अभियान की शुरुआत की थी. आज के समय में वे जल योद्धा बन गई है. यहां तक की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी उजियारो बाई के प्रयासों की तारीफ कर चुकीं हैं.

गांव से ग्लोबल स्तर तक जंगल बचाओ अभियान! अफ्रीका व फिनलैंड में पहचान बनाने वाली उजियारो बाई की जानिए कहानी
डिंडोरी की उजियारो बाई ने अपने गांव में प्रकृति बचाने के लिए किए कई प्रयास

MP News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी (Dindori) जिले के छोटे से गांव पौंडी की रहने वाली बैगा जनजाति की महिला उजियारो बाई (Ujiyaro Bai) की कई वर्षों की मेहनत अब रंग लाती नजर आ रही है. गांव में व्याप्त जलसंकट को देखते हुए करीब 20 साल पहले उजियारो बाई ने जंगल बचाओ अभियान (Save Forest Movement) की शुरुआत की थी, जिसका सार्थक परिणाम अब देखने को मिल रहा है. दरअसल, सालों पहले दूषित पानी पीने की वजह से पौंडी गांव में कुछ लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद उजियारो बाई ने पहले अपने गांव के लोगों को पेड़ों की कटाई नहीं करने एवं जंगल बचाने के प्रति जागरूक किया. फिर आसपास के गांवों में भी घर-घर जाकर लोगों को अपने इस मुहिम से जोड़ लिया.

उजियारो बाई की मदद से गांव में पहुंचा साफ पानी

उजियारो बाई की मदद से गांव में पहुंचा साफ पानी

गांव में तेजी से बढ़ा जलस्तर

उजियारो बाई के जंगल बचाओ मुहिम का ही नतीजा है कि अब पौंडी गांव के नदी-नालों समेत तमाम जलस्रोतों का जलस्तर बढ़ गया है और नलजल योजना के जरिये लोगों को घर-घर शुद्ध पेयजल मिलने लगा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि उजियारो बाई सिर्फ तीसरी क्लास तक ही पढ़ी हैं. लेकिन, अपनी सोच, मेहनत, लगन और जुनून के दम पर दक्षिण अफ्रीका और फिनलैंड जैसे देश में वे भारत का प्रतिनिधित्व तक कर चुकी हैं. सितंबर 2024 में नई दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह कार्यक्रम में देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उजियारों के प्रयासों की तारीफ करते हुए उसे सम्मानित भी कर चुकी हैं.

अपने गांव से जंगल बचाव अभियान की शुरुआत की थी

अपने गांव से जंगल बचाव अभियान की शुरुआत की थी

पेड़ों की कटाई से होती थी समस्या

डिंडौरी जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसे इसी छोटे से गांव पौंडी से उजियारो बाई ने जंगल बचाओ अभियान की शुरुआत सालों पहले की थी. उजियारो बाई बताती हैं कि पहले न सिर्फ वन विभाग, बल्कि ग्रामीण भी हरे-भरे पेड़ों की कटाई करते थे, जिसकी वजह से धीरे-धीरे गांव के तमाम जलस्रोत सूखने लगे थे और हालात इतने भयावह हो गए थे कि दूषित पानी पीकर प्यास बुझाने के लिए लोग मजबूर हो गए. कुछ साल पहले दूषित पानी पीने की वजह से ही पौंडी गांव में कुछ लोगों की मौत हो गई और दर्जनों ग्रामीण बीमार पड़ गए थे, तब उजियारो बाई ने जंगल बचाने का बीड़ा उठाया और ग्रामीणों की मदद से उसने मुहिम छेड़ दी. 

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जंगल की पहरेदारी के लिए लगाए गए लोग

जंगल को बचाने के लिए पेड़ काटने वाले व्यक्ति पर जुर्माने का प्रावधान बनाया गया. साथ ही, जंगल की पहरेदारी करने के लिए स्थानीय स्तर पर समूह बनाया गया, जो बारी-बारी से जंगल की रखवाली करते चले आ रहे हैं. जंगल बचाओ अभियान को लेकर उजियारो बाई उस वक्त चर्चा में आई, जब विश्व वानिकी दिवस पर उन्हें दक्षिण अफ्रीका में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. दक्षिण अफ्रीका के बाद उजियारो को फिनलैंड में भी भारत की तरफ से प्रजेंटेशन करने का मौका मिला. उजियारो बाई के प्रयासों का ही नतीजा है कि अब पौंडी गांव का जलस्तर काफी बढ़ गया है और नलजल योजना के माध्यम से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है.

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