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गोली के बुलेट वाली होली ! MP में ऐसी होलिका देखने दूर-दूर से आते हैं लोग 

Holika Dehan 2025 : आज भी सिरोंज में होली का ये नज़ारा देखने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा होते हैं. कानूनगो माथुर परिवार का कोई न कोई सदस्य बंदूक से फायर कर होली जलाता है और जैसे ही आग की लपटें उठती हैं.... लोगों के चेहरे पर खुशी और रोमांच साफ दिखाई पड़ती है.

गोली के बुलेट वाली होली ! MP में ऐसी होलिका देखने दूर-दूर से आते हैं लोग 
गोली के बुलेट वाली होली ! MP में ऐसी होलिका देखने दूर-दूर से आते हैं लोग 

Holi 2025 : भारत में होली का त्योहार रंग, उमंग और खुशियों का प्रतीक है. हर जगह होली मनाने के अपने-अपने अनोखे तरीके हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का एक छोटा-सा कस्बा सिरोंज, इस मामले में बिलकुल अलग और अनोखा है. यहाँ होलिका दहन बंदूक की गोली से किया जाता है! हाँ, आपने सही सुना. यहाँ होलिका दहन किसी माचिस या मशाल से नहीं, बल्कि बंदूक की गरजती गोली से होता है. कहते हैं कि ये परंपरा टोंक रियासत के जमाने से चली आ रही है. उस दौर में सिरोंज होलकर राज्य का हिस्सा हुआ करता था. यहाँ की होली 'रावजी की होली' कहलाती थी, और इसे जलाने का तरीका भी बेहद अनोखा था. सूखी घास और रूई का ढेर तैयार किया जाता और बंदूक से फायर कर उसे आग के हवाले कर दिया जाता.

परंपरा को आज भी रखा हुआ ज़िंदा 

समय बदला, सिरोंज पर नवाबी शासन भी आया. कहा जाता है कि उस दौर में इस परंपरा को रोकने की पूरी कोशिश की गई. नवाबों ने अपने सैनिकों से होली के चबूतरे को घेरने का आदेश दिया ताकि कोई इसे जला न सके. लेकिन कानूनगो माथुर परिवार के एक साहसी पूर्वज ने उस भीड़ में से ही अपनी बंदूक निकाली और दूर से ही फायर कर दिया. गोली सीधी घास के ढेर से जा टकराई और पल भर में होली जल उठी. ये देखते ही भीड़ में एक शोर गूंजा, "होली जल गई! होली जल गई! ".

महेश माथुर इस परंपरा को निभाने वाले परिवार के वंशज हैं, वे कहते हैं कि यह महज़ एक परंपरा नहीं है.... साथ ही उनके पूर्वजों की बहादुरी और संकल्प का प्रतीक है. 

नज़ारा देखने वालों की लगती है भीड़

आज भी सिरोंज में होली का ये नज़ारा देखने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा होते हैं. कानूनगो माथुर परिवार का कोई न कोई सदस्य बंदूक से फायर कर होली जलाता है और जैसे ही आग की लपटें उठती हैं.... लोगों के चेहरे पर खुशी और रोमांच साफ दिखाई पड़ती है. महेश माथुर कहते हैं कि ये परंपरा ऐसी है जो हमारे पूर्वजों की याद दिलाती है. जब तक हम जिंदा हैं, ये परंपरा ऐसे ही चलती रहेगी.

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यहां के लोगों का कहना है कि आधुनिकता के इस युग में भी सिरोंज के लोग अपनी इस अनोखी परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. जो अब उनकी पहचान भी बन चुकी है.

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