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This Article is From Jul 17, 2023

DM of Jabalpur:'ऑक्सीजन मैन' रहे हैं कलेक्टर सौरव कुमार, जबलपुर का विकास है प्राथमिकता

जबलपुर के मौजूदा DM कोरोना के दौर में जरूरतमंदों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराना अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं. उस दौरान वे छिंदवाड़ा के डीएम थे. अब जबलपुर को लेकर भी उनकी बड़ी योजनाएं हैं.

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DM of Jabalpur:'ऑक्सीजन मैन' रहे हैं कलेक्टर सौरव कुमार, जबलपुर का विकास है प्राथमिकता

वो कोविड की दूसरी लहर का दौर था...हर तरफ ऑक्सीजन को लेकर अफरातफरी मची थी. मध्यप्रदेश में इस परेशानी से अछूता नहीं था. लेकिन राज्य में छिंदवाड़ा एकमात्र ऐसा जिला था जहां मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में परेशानी नहीं आ रही थी...यहीं नहीं छिंदवाड़ा ने अकेले ही एक तिहाई मध्यप्रदेश की ऑक्सीजन से सहायता की.

ऐसा संभव हो पाया तब के जिले के कलेक्टर सौरव कुमार सुमन और उनकी टीम की बदौलत. कोरोना के दौरान सौरव और उनकी टीम ने न सिर्फ जमकर मेहनत की बल्कि रणनीति ऐसी बनाई कि जिले में हर वक्त सौ मीट्रिक टन ऑक्सीजन का भंडार बना रहता था.

ऑक्सीजन की सप्लाई निर्बाध गति से जारी रहे इसके लिए डीएम साहब ने 'आईनेक्स' और 'लिंडे' कंपनियों से अनुबंध कर रखा था.  सौरव अब जबलपुर के डीएम हैं. लेकिन बतौर कलेक्टर वे इसे अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं. उनका मानना है कि जीवन रक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता है. इसके अलावा छिंदवाड़ा में बाढ़ राहत कार्य और जबलपुर में उपराष्ट्रपति की मौजूदगी में विश्व योग दिवस के आयोजन को भी सौरव अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं. 

परिवार से मिलती है अच्छा करने की प्रेरणा

बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले सौरभ सुमन की दसवीं तक शिक्षा बेगूसराय में ही हुई. फिर उन्होंने पटना कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. शुरू से ही उनका सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का. यह सपना 2010 में पूरा हुआ और 2011 से वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. सौरव अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. उनके मां एवं पिता दोनों ही हाई स्कूल शिक्षक रहे हैं. सौरव का मानना है कि उनके पैरेंट्स की दी गई शिक्षा ही आज उनके प्रशासनिक कार्यों में सबसे ज्यादा काम आ रही है.

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कलेक्टर सौरव अपने पैरेंट्स के साथ, कहा- परिवार से मिलती है अच्छा करने की प्रेरणा

सुबह की दिनचर्या बहुत व्यस्त रहती है और जल्दी ऑफिस पहुंचकर काम निपटाना शुरू कर देते हैं ,जो शाम को 07- 08 बजे तक निरंतर चलता रहता हैं। सौरभ सुमन ने बताया कि जब वह छिंदवाड़ा के कलेक्टर हुआ करते थे तब रोज बैडमिंटन खेलने जाते थे लेकिन जबलपुर जैसे बड़े जिले में व्यस्तता है इसलिए कम ही खेलना हो पाता है , जो समय बचता है वह अपनी बेटी और अपने परिवार के साथ गुजारना पसंद करते है. खास बात ये है कि कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो वे सप्ताह में दो दिन आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए 'ज्ञानाश्रय' कोचिंग क्लास जाकर निशुल्क क्लास जरूरत देते हैं.

जबलपुर को लेकर है कई योजनाएं   

जबलपुर जिले को भी लेकर कलेक्टर साहब की बड़ी योजनाएं हैं. मसलन- मेगा प्लांड सिटी का प्लान तैयार है. जिसके तहत जिलमें रिंग रोड बनाई जा रही है. जिसकी कुल लंबाई 118 किमी है. इसके अलावा जबलपुर प्लैनिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी का भी गठन किया जा रहा है. ये मध्यप्रदेश की अपनी तरह की पहली परियोजना होगी. डीएम सौरव कुमार ने बताया कि जिलमें नमामि नर्मदे परियोजना भी चलाई जा रही है. जिसके तहत 15 किलोमीटर का नर्मदा पथ बनेगा. इसके साथ ही नर्मदा कॉरिडोर का भी प्रस्ताव है. भविष्य में जिल में रेडीमेड गारमेट उद्योग के लिए पार्क का भी निर्माण किया जाएगा. 

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