
Plastic in Bottled Water: पानी की एक सामान्य बोतल (1 लीटर) में प्लास्टिक के करीब 2,40,000 अंश पाए जाते हैं. एक नए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं के मुताबिक इनमें से ज्यादातर हिस्सों की कभी पहचान ही नहीं हो पाई. उनका कहना है कि प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को हमेशा नजरअंदाज किया गया. जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में सोमवार को प्रकाशित स्टडी में पहली बार बोतलबंद पानी में मौजूद नैनोप्लास्टिक्स का मूल्यांकन किया गया है.
प्लास्टिक के ऐसे टुकड़े जो लंबाई में 1 माइक्रोमीटर से कम और चौड़ाई में मानव बाल के 1/70वें हिस्से के बराबर होते हैं, 'नैनोप्लास्टिक्स' कहलाते हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन के नतीजे दिखाते हैं कि बोतलबंद पानी में अब तक के अनुमान की तुलना में 100 गुना अधिक प्लास्टिक पार्टिकल्स मौजूद हो सकते हैं. पहले के अध्ययन में सिर्फ माइक्रोप्लास्टिक या 1 से 5,000 माइक्रोमीटर के बीच के टुकड़ों का ही गिना जाता था.
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कितनी खतरनाक है नैनोप्लास्टिक?
ह्यूमन बॉडी के लिए नैनोप्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक की तुलना में ज्यादा खतरनाक होती है क्योंकि यह इतनी छोटी होती है कि मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकती है, रक्तप्रवाह में शामिल हो सकती है और शरीर के अंगों को प्रभावित कर सकती है. नैनोप्लास्टिक्स प्लेसेंटा के माध्यम से अजन्मे शिशुओं के शरीर में भी जा सकता है. वैज्ञानिकों को लंबे समय से बोतलबंद पानी में उनकी मौजूदगी का संदेह था लेकिन उनके पास नैनोकणों की पहचान करने की कोई तकनीक नहीं थी.
वैज्ञानिकों ने किया 25 बोतलों को विश्लेषण
इस चुनौती से निपटने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नई माइक्रोस्कोप तकनीक का अविष्कार किया. एक डेटा-संचालित एल्गोरिथ्म को प्रोग्राम किया गया और अमेरिका में तीन लोकप्रिय ब्रांडों से खरीदी गई पानी की लगभग 25 बोतलों का विश्लेषण किया गया जिसके नतीजे चौंकाने वाले थे. शोधकर्ताओं को प्रत्येक लीटर में 1,10,000 से 3,70,000 छोटे प्लास्टिक कण मिले, जिनमें से 90 प्रतिशत नैनोप्लास्टिक थे.
खोजे कई अज्ञात नैनोकण
शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक के सात सामान्य प्रकारों को टारगेट किया है जिनमें पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (PET) भी शामिल है जिसका इस्तेमाल पानी की बोतलें बनाने में किया जाता है. साथ ही पॉलियामाइड को भी शामिल किया गया है जिसका इस्तेमाल अक्सर बोतल में भरने से पहले पानी को शुद्ध करने के लिए फिल्टर में किया जाता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पानी में कई अज्ञात नैनोकणों की भी खोज की है. अगर उनमें से कोई नैनोप्लास्टिक है तो बोतलबंद पानी में प्लास्टिक की मौजूदगी और ज्यादा हो सकती है.
पूरी तरह नष्ट नहीं होती है प्लास्टिक
दुनिया में हर साल 450 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है जिसमें से ज्यादातर आखिर में कचरे में बदल जाता है. प्लास्टिक का ज्यादातर हिस्सा प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं होता है बल्कि समय के साथ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है. इस्तेमाल के दौरान प्लास्टिक के उत्पादों से प्लास्टिक के बेहद छोटे टुकड़े भी नियमित रूप से निकल जाते हैं जिनमें कई सिंथेटिक कपड़े भी शामिल हैं.
बोतलबंद पानी में वैज्ञानिकों की रुचि
प्लास्टिक प्रदूषण पृथ्वी पर हर जगह मौजूद है लेकिन बोतलबंद पानी वैज्ञानिकों के लिए एक खास रुचि का विषय है क्योंकि इससे प्लास्टिक के कण मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. 2022 की एक स्टडी बताती है कि बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता (concentration) नल के पानी की तुलना में अधिक होती है. 2021 की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्लास्टिक की बोतल का ढक्कन खोलने और बंद करने से प्लास्टिक के बेहद महीन टुकड़े पानी में मिल सकते हैं.
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सिर्फ बोतलबंद पानी तक नहीं रुकेगा अध्ययन
हालिया अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी रिसर्च सिर्फ बोतलबंद पानी तक ही नहीं रुकेगी. वे टंकी के पानी और पश्चिमी अंटार्कटिका से इकट्ठा किए गए बर्फ के नमूनों में नैनोप्लास्टिक की जांच करने की भी योजना बना रहे हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के को-ऑथर और बायोफिजिसिस्ट वेई मिन ने कहा, 'नैनोप्लास्टिक्स की एक विशाल दुनिया का अध्ययन किया जाना है. चीजें जितनी छोटी होंगी, वे उतनी ही आसानी से हमारे शरीर के अंदर जा सकती हैं.'